Amit Shah On Emergency : भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आज आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली में ‘आपातकाल के 50 वर्ष’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, “आज आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या है। एक सवाल उठ सकता है कि 50 साल पहले हुई एक घटना की चर्चा आज क्यों हो रही है। अगर लोकतंत्र को हिला देने वाली आपातकाल जैसी घटना की स्मृति धुंधली हो जाती है, तो यह देश के लिए नुकसानदेह है।”
आपातकाल पर क्या बोले अमित शाह? Amit Shah On Emergency
अमित शाह ने कहा कि वह लड़ाई इसलिए जीती गई क्योंकि इस देश में कोई भी तानाशाही बर्दाश्त नहीं कर सकता। भारत लोकतंत्र की जननी है। तानाशाहों और उस समय इससे लाभान्वित होने वाले छोटे समूह को छोड़कर आपातकाल किसी को पसंद नहीं है। उन्हें यह भ्रम है कि कोई उन्हें चुनौती नहीं दे सकता, लेकिन जब आपातकाल के बाद पहला लोकसभा चुनाव हुआ, तो आजादी के बाद पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। आपातकाल को एक वाक्य में परिभाषित करना मुश्किल है। मैंने एक परिभाषा देने की कोशिश की है। “आपातकाल एक लोकतांत्रिक देश को बहुदलीय लोकतंत्र से तानाशाही में बदलने की साजिश है।”
अमित शाह ने कहा- मैं उस दिन को कभी नहीं भूलूंगा।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, “कल्पना कीजिए कि आपको स्वतंत्र होने के विचार के कारण जेल भेज दिया जाता है। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि वह सुबह भारत के लोगों के लिए कितनी क्रूर रही होगी। जब आपातकाल की घोषणा की गई थी, तब मैं 11 साल का था। गुजरात में आपातकाल का प्रभाव बहुत कम था, क्योंकि वहां जनता पार्टी की सरकार बनी थी, लेकिन बाद में जनता पार्टी की सरकार गिर गई। मैं एक छोटे से गांव से आता हूं। मेरे गांव से ही 184 लोगों को जेल भेजा गया था। मैं उस दिन और उन दृश्यों को मरते दम तक नहीं भूलूंगा।”
आपातकाल का असल कारण था सत्ता बचाना : शाह
अमित शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि वो दिन मुझे याद है जब सुबह 8 बजे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर आपातकाल की घोषणा की थी। मैं पूछना चाहता हूं इन लोकतंत्र के लखवालों से क्या उस समय संसद की मंजूरी ली गई थी? क्या कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी? क्या विपक्ष को विश्वास में लिया गया था? जब प्रश्न उठे तो कारण राष्ट्रीय सुरक्षा बताया गया, लेकिन असली कारण सत्ता को बचाना था। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, लेकिन उन्हें संसद में वोट देने का अधिकार नहीं था। प्रधानमंत्री के तौर पर उनके पास कोई अधिकार नहीं था। उन्होंने नैतिकता को त्याग दिया और प्रधानमंत्री बने रहने का फैसला किया।”
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