Ambedkar Jayanti 2025: डॉ भीमराव अंबेडकर एक राजनेता, कानूनविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक थे। उन्होंने भारत में जातिवाद और अस्पृश्यता के विरुद्ध जीवन भर आवाज उठाई। उन्हें आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक माना जाता है। उनके अनुयायी प्यार और सम्मान से उन्हें बाबा साहब कहते हैं। 14 अप्रैल को डॉ अंबेडकर की जयंती, पूरे देश में मनाई जाती है। आइए जानते हैं उनके बारे में 10 प्रमुख बातें।
Ambedkar Jayanti 2025
- उनका जन्म 14 अप्रैल 1889 को इंदौर के पास महू छावनी में हुआ था। उनका जन्म एक महार परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार थे।
- उनकी प्रारंभिक पढ़ाई मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से हुई थी। बाद में उन्होंने ने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
- विदेश में पढ़ाई के लिए उन्हें, बड़ौदा स्टेट की तरफ से वजीफा प्राप्त हुआ था। इसिलिए विदेश से लौट कार वापस आने के बाद उन्होंने बड़ौदा राज्य में रक्षा सचिव के तौर पर भी कार्य किया। लेकिन वहाँ होने वाले भेदभाव से आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
- डॉ अंबेडकर का मानना था, दलितों का कल्याण बिना राजनैतिक प्रतिनिधित्व के नहीं होगा। इसीलिए उन्होंने दलितों में चेतना लाने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन का सहारा लिया। और 1924 में उन्होंने बहिष्कृत हितकारी सभा का निर्माण किया। उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत और समता जनता जैसी कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
- 1927 में महाड़ सत्याग्रह उनके द्वारा किया गया पहला सत्याग्रह था। जिसका प्रमुख उद्देश्य दलितों को सार्वजनिक जलस्त्रोतों का पानी उपयोग करने का पूर्ण अधिकार दिलाना था। इसी तरह 1930 में उनके द्वारा कालाराम मंदिर आंदोलन किया था। जिसका उद्देश्य दलितों को हिंदू मंदिरों में प्रवेश दिलवाना था।
- 1932 में उनके और महात्मा गांधी के मध्य पूना का समझौता हुआ। जिसके अनुसार दलितों को बहुत सारे राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार मिले। और डॉ अंबेडकर ने दलितों के लिए अलग निर्वाचन के अधिकार की मांग छोड़ दी थी। इसके बाद ही गांधी के प्रभाव के कारण देशभर में दलितों को सार्वजनिक स्थलों और मंदिर इत्यादि में प्रवेश प्रारंभ हुआ।
- डॉ अंबेडकर के राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1936 में हुई। जब उन्होंने दलितों के उचित प्रतिनिधित्व के लिए इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की। 1937 के बॉम्बे प्रेसिडेंसी के चुनावों में भी उन्हें कुछ सफलता प्राप्त हुई थी। 1942 में अपनी पार्टी का उन्होंने अनुसूचित जाति संघ में विलय कर दिया था। 1942 से 1946 तक उन्होंने वायसराय के कार्यकारी परिषद में बतौर श्रम मंत्री कार्य भी किया। 30 सितंबर 1956 को उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना की थी।
- देश की आजादी के बाद वह संविधान सभा के सदस्य बने और पंडित नेहरू के मंत्रीमंडल में भी शामिल हुए। उन्होंने बतौर कानून मंत्री देश के संविधान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई। वह संविधान सभा के सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक प्रारूप समिति के अध्यक्ष भी चुने गए। उन्होंने हिंदू कोड बिल का भी मसौदा तैयार किया था, लेकिन आगे चलकर पंडित नेहरू से मतभेदों के चलते उन्होंने नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
- डॉ अंबेडकर जब 14 वर्ष के थे तभी उनका विवाह रमाबाई अंबेडकर के साथ हो गया था। रमाबाई अपने पति के हर संघर्षों की साक्षी थीं। डॉ अंबेडकर ने अपनी किताब थॉट्स ऑन पाकिस्तान में अपनी पत्नी रमाबाई के समर्पण और त्याग की अत्यधिक प्रशंसा की है। डॉ अंबेडकर के चार बच्चे उनके जीवनकाल में ही असमय मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। ज्यादातर उनकी मृत्यु का कारण बीमारियाँ थीं और धन के आभाव के वजह से उचित इलाज की व्यवस्था नहीं हो पाई थी। बाद में उन्होंने डॉ सविता अंबेडकर से दूसरा विवाह किया था।
- डॉ अंबेडकर के जीवन के प्रारंभिक संघर्ष हिंदू धर्म में सुधार के लिए ही था। लेकिन 1935 में नासिक में आयोजित एक प्रांतीय सम्मेलन में उन्होंने घोषणा की थी- “मैं हिंदू पैदा हुआ, लेकिन हिंदू बनकर मरूँगा नहीं”, इस्लाम समेत सभी धर्मों के गूढ़ अध्ययन के बाद उन्होंने 14 ऑक्टूबर 1956 को नागपुर के दीक्षा भूमि में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया। बौद्ध धर्म को अपनाना केवल एक धार्मिक फैसला नहीं था, बल्कि इसका राजनैतिक महत्व भी था।