Amarnath Yatra 2025 postponed: पवित्र अमरनाथ यात्रा 2025 को भारी बारिश, भूस्खलन और खराब मौसम के कारण समय से पहले 3 अगस्त से स्थगित कर दिया गया है। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने घोषणा की कि यात्रा, जो मूल रूप से 9 अगस्त तक चलने वाली थी, अब मौसम की स्थिति सुधरने और मार्गों की मरम्मत होने तक रुकी रहेगी। इस निर्णय से उन लाखों श्रद्धालुओं को निराशा हुई है, जो बाबा बर्फानी के हिम शिवलिंग के दर्शन के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह कदम उठाया है, क्योंकि पहलगाम और बालटाल मार्गों पर बारिश ने भारी तबाही मचाई है।
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है, जिसके कारण अमरनाथ यात्रा के दो प्रमुख मार्ग—पहलगाम-चंदनवाड़ी-पिस्सू टॉप-शेषनाग-पंचतरणी-गुफा और बालटाल-डोमेल-बरारी-गुफा—पर भूस्खलन और कीचड़ जमा होने की घटनाएं हुई हैं। पहलगाम मार्ग पर चंदनवाड़ी और पिस्सू टॉप के बीच कई जगहों पर चट्टानें गिरने की सूचना मिली, जबकि बालटाल मार्ग पर बरारी क्षेत्र में पानी का तेज बहाव रास्तों को अवरुद्ध कर रहा है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिसके चलते श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने यात्रा को तत्काल प्रभाव से रोकने का फैसला किया।
बोर्ड के एक प्रवक्ता ने कहा, “श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। हम मार्गों की मरम्मत और मौसम के सामान्य होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”यात्रा का अब तक का लेखा-जोखाइस साल अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई 2025 को हुई थी, जब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से पहले जत्थे को रवाना किया था। पहले दिन 12,348 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन किए, जिनमें पुरुष, महिलाएं, बच्चे, साधु-साध्वी, सुरक्षाकर्मी, और ट्रांसजेंडर श्रद्धालु शामिल थे।
यात्रा के पहले सप्ताह में ही 50,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए, जिसमें 5 जुलाई को एक दिन में 23,857 श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। यात्रा के दौरान श्रद्धालु ‘हर हर महादेव’ और ‘बम बम भोले’ के जयकारों के साथ पहलगाम और बालटाल बेस कैंप से रवाना हुए। इस साल हिम शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7 फीट थी, जिसकी पहली तस्वीर 6 मई को सामने आई थी। यात्रा में शामिल होने के लिए 3.5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया था, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन (600 से अधिक बैंकों और डाकघरों के माध्यम से) प्रक्रिया पूरी की गई। अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र और आरएफआईडी कार्ड इस साल भी अनिवार्य थे, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और ट्रैकिंग सुनिश्चित हुई।