Allegations of negligence in Sanjay Gandhi Hospital Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SGMH) एक बार फिर बड़ी लापरवाही और अव्यवस्थाओं के चलते सुर्खियों में है। सतना से रेफर होकर आई एक गर्भवती महिला, दीपा गुप्ता पति- राजकुमार गुप्ता, और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की कथित तौर पर उचित इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई। इस घटना से गुस्साए परिजनों ने शनिवार को अस्पताल गेट पर शव रखकर जमकर हंगामा किया और डॉक्टरों व स्टाफ पर इलाज न करने, खाली इंजेक्शन लगाने और महिला की मां के साथ मारपीट करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
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परिजनों के सनसनीखेज आरोप
मृतका दीपा गुप्ता की मां ने रोते हुए मीडिया को बताया कि उनकी बेटी को 7 अक्टूबर को सतना जिला अस्पताल से गंभीर हालत में रीवा रेफर किया गया था। परिजनों का आरोप है कि SGMH में दो दिनों तक दीपा को वॉर्ड में सिर्फ लिटाकर रखा गया और उसे कोई उचित इलाज नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस दौरान अस्पताल स्टाफ ने दीपा की मां के साथ मारपीट की और दीपा को एक खाली इंजेक्शन लगा दिया। परिजनों का दावा है कि समय पर इलाज न मिलने के कारण ही महिला और उसके अजन्मे बच्चे की जान चली गई। उन्होंने दोषी डॉक्टरों और स्टाफ पर सख्त कार्रवाई तथा मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को नकारा
अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों के सभी आरोपों को निराधार बताया है। प्रबंधन के अनुसार, महिला को जब सतना से लाया गया था, तब उसे पीलिया था और वह यूरिन पास नहीं कर पा रही थी, उसकी हालत पहले से ही बेहद गंभीर थी। प्रबंधन ने सफाई दी कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बच्चे को निकाला, लेकिन इसी बीच महिला का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ गया, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया। प्रबंधन ने महिला को बचाने की हर संभव कोशिश करने का दावा किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। प्रबंधन ने मारपीट के आरोप को भी पूरी तरह खारिज करते हुए इसे परिजनों का गुस्सा बताया है और मामले में जांच का आश्वासन दिया है।
पुरानी घटनाओं से विश्वसनीयता पर सवाल
इस घटना ने संजय गांधी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले 13 वर्षीय बच्चे मनीष साहू की भी इलाज में देरी के कारण मौत हो गई थी। उस मामले की आंतरिक जांच में विभागों के बीच समन्वय की कमी उजागर हुई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं अभिभावकों और मरीजों में रोष पैदा कर रही हैं।