Author: डॉक्टर रामानुज पाठक: वर्तमान प्लास्टिक युग में प्लास्टिक अत्यधिक बहुमुखी और मानव समाज के लिए अत्यंत लाभकारी सामग्री के रूप में सामने आया है। चूंकि हाल ही में उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक पॉलिमर जैव निम्नीकरण के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी हैं, इसलिए ऐसी लगातार और जटिल सामग्रियों का विशाल प्रवाह पर्यावरण और मानव सहित जीवों के स्वास्थ्य के लिए संभावित खतरा पैदा करता है। उनका अंधाधुंध निपटान अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों पर भारी बोझ डालता है, जिससे प्लास्टिक कचरे को पारिस्थितिक तंत्र में घुसपैठ करने की अनुमति मिलती है, जिससे खाद्य श्रृंखला को दूषित करने और जीवन के विभिन्न रूपों पर विषाक्त प्रभाव का खतरा पैदा करता है।एकल उपयोगी प्लास्टिक और प्लास्टिक का बना कोई भी उत्पाद अंततः पर्यावरण का दुश्मन ही सिद्ध होता है।
प्लास्टिक और माइक्रो(सूक्ष्म) प्लास्टिक एक बढ़ता पर्यावरण और स्वास्थ्य संकट है।प्लास्टिक के टूटने से सूक्ष्म या माइक्रो प्लास्टिक के कण बनते हैं जिनका आकार तिल के दानों से भी छोटा होता है।माइक्रोप्लास्टिक्स की व्यापक प्रकृति, रोजमर्रा के प्लास्टिक उत्पादों से निकलने वाले छोटे-छोटे टुकड़े, एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। ये लगभग अविनाशी कण हमारे महासागरों, मिट्टी और, चिंताजनक रूप से, हमारे शरीर में घुसपैठ कर चुके हैं। वे धमनियों, फेफड़ों और यहां तक कि प्लेसेंटा में भी पाए गए हैं।लेकिन शैवाल आधारित जैव अपघटनीय प्लास्टिक सदा के लिए माइक्रो (सूक्ष्म )प्लास्टिक की समस्या समाप्त कर देंगे।
अल्जेनेसिस के सहयोग से कैलिफोर्निया सैन डिएगो विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, बायोडिग्रेडेबल (जैव निम्नीकृत)प्लास्टिक, प्लास्टिक प्रदूषण की लगातार समस्या को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।अध्ययन से पता चलता है कि पौधे-आधारितपॉलिमर(बहुलक) सात महीने से भी कम समय में माइक्रो (सूक्ष्म)प्लास्टिक स्तर पर पूरी तरह से जैव अपघटित (बायोडिग्रेड) हो सकते हैं। यह खोज न केवल पारंपरिक प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक द्वारा उत्पन्न गंभीर पर्यावरणीय चुनौती का समाधान करेगी, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों के एक नए युग का संकेत भी देती है। प्लास्टिक से बने सूक्ष्म प्लास्टिक लंबी उम्र तक पृथ्वी में यूं ही पड़े रहते हैं (विघटित होने में 100 से 1,000 साल तक का समय) को देखते हुए, माइक्रोप्लास्टिक्स प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में योगदान करते हैं, जिससे ग्रह और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा होते हैं।
यह गंभीर वास्तविकता पारंपरिक प्लास्टिक के स्थायी विकल्प खोजने की महती आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल )प्लास्टिक में एक सफलता हाल ही में वैज्ञानिकों को प्राप्त हुई है।अध्ययन के वैज्ञानिक लेखकों ने लिखा है कि, “माइक्रोप्लास्टिक्स के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए एक आकर्षक समाधान ऐसे प्लास्टिक विकसित करना है जो अपने सामान्य जीवन चक्र के हिस्से के रूप में लगातार माइक्रोप्लास्टिक्स उत्पन्न नहीं करते हैं।”यहां तक कि जिन प्लास्टिक को ठीक से एकत्र और पुनर्चक्रित किया जाता है, वे रोजमर्रा के उपयोग से होने वाली सामान्य टूट-फूट के हिस्से के रूप में या पुनर्चक्रण या धुलाई प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप माइक्रोप्लास्टिक उत्पन्न करते हैं।
इस प्रकार, माइक्रोप्लास्टिक के संचय को रोकने के लिए, नई प्लास्टिक सामग्री विकसित की जानी चाहिए जो पूरी तरह से जैव अपघटनीय(बायोडिग्रेडेबल) हो ताकि इन उत्पादों से उत्पन्न कोई भी कण पर्यावरण में जल्दी से नष्ट हो जाए।शोधकर्ताओं ने एक अभिनव समाधान विकसित किया है: शैवाल-आधारित बहुलक (पॉलिमर) जो सात महीने से कम समय में माइक्रोप्लास्टिक स्तर सहित पूरी तरह से जैव निम्नीकृत (बायोडिग्रेड) हो जाते हैं।
शोध का नेतृत्व प्रोफेसर माइकल बर्कार्ट और प्रोफेसर रॉबर्ट पोमेरॉय ने किया, जो दोनों अल्जेनेसिस के सह-संस्थापक हैं।
प्रोफेसर बुर्कर्ट ने कहा, “हम अभी माइक्रोप्लास्टिक के निहितार्थ को समझना शुरू कर रहे हैं। हमने पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को जानने की सिर्फ सतही कोशिश की है।हम उन सामग्रियों के लिए प्रतिस्थापन ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं जो पहले से मौजूद हैं, और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ये प्रतिस्थापन पर्यावरण में एकत्र होने के बजाय अपने उपयोगी जीवन के अंत में जैव अपघटित (बायोडिग्रेड )हो जाएंगे। यह आसान नहीं है।प्रोफेसर पोमेरॉय ने पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक सामग्री बनाने के टीम के दृष्टिकोण को साझा किया। शोधकर्ताओं ने कहा, “जब हमने लगभग छह साल पहले पहली बार इन शैवाल-आधारित बहुलक (पॉलिमर) का निर्माण किया था, तो हमारा इरादा हमेशा यह था कि यह पूरी तरह से जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) हो।
हमारे पास यह सुझाव देने के लिए बहुत सारे आंकड़े थे कि हमारी सामग्री अंत में खाद में गायब/परिवर्तित हो रही थी, लेकिन यह पहली बार है कि हमने इसे माइक्रोपार्टिकल (सूक्ष्म कण)स्तर पर मापा है।
शोधकर्ताओं ने अपने शैवाल-आधारित बहुलक (पॉलिमर)की जैव अपघटनीयता (बायोडिग्रेडेबिलिटी) को प्रमाणित करने के लिए उसका कठोर परीक्षण किया। उन्होंने स्कैनिंग-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी के साथ-साथ रेस्पिरोमेट्री, वॉटर फ़्लोटेशन और गैस क्रोमैटोग्राफी/मास स्पेक्ट्रोमेट्री (जीसीएमएस) का उपयोग किया।इन सब परीक्षणों से पुष्टि होती है कि प्लास्टिक जैव निम्नीकृत (बायोडिग्रेडेबल) है।इन परीक्षणों ने सामग्री की बायोडिग्रेड करने की उल्लेखनीय क्षमता की पुष्टि की, जो पारंपरिक पेट्रोलियम-आधारित प्लास्टिक के बिल्कुल विपरीत है, जो समान परिस्थितियों में नगण्य अपघटन दिखाता है(ज्ञात हो कि प्लास्टिक उत्पादन में पेट्रोलियम की महत्वपूर्ण भूमिका है)।
शोधकर्ताओं ने लिखा, “हमने प्रदर्शित किया कि इन सामग्रियों से बने प्रारंभिक (प्रोटोटाइप) उत्पाद घरेलू परिस्थितियों में जैव अपघटित (बायोडिग्रेड) होकर खाद में परिवर्तित होते हैं।”
माइक्रो (सूक्ष्म)प्लास्टिक्स का उत्पादन प्लास्टिक के उपयोग का एक अपरिहार्य परिणाम है और जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) सामग्री विकल्पों को अपनाकर इन कणों की दृढ़ता को कम करना भविष्य की हरित परिपत्र अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यवहार्य विकल्प है।” इस महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध से प्लास्टिक मुक्त भविष्य की कल्पना साकार हो सकती है।
अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर स्टीफन मेफील्ड ने कहा कि यह शैवाल आधारित जैव अपघटनीय बहुलक सामग्री पहले ऐसे प्लास्टिक का प्रतिनिधित्व करती है जो उपयोग के दौरान माइक्रो (सूक्ष्म)प्लास्टिक उत्पन्न नहीं करता है।
यह सामग्री पहला ऐसा प्लास्टिक है जो प्रदर्शित करता है कि यह माइक्रोप्लास्टिक नहीं बनाता जैसा कि हम इसका उपयोग करते हैं। यह उत्पाद के अंतिम जीवन चक्र और हमारे भीड़ भरे लैंडफिल(भूमिगत)साइटों के लिए एक स्थायी समाधान से कहीं अधिक है। यह वास्तव में ऐसा प्लास्टिक है जो हमें बीमार नहीं करेगा,मृदा की सेहत को प्रभावित नहीं करेगा आसानी से जैव निम्नीकृत होकर कार्बनिक खाद में परिवर्तित होकर फसलों और पौधों को पोषण प्रदान करेगा।प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण क्षण है यह शैवाल आधारित जैव अपघटनीय प्लास्टिक की खोज।
व्यावसायिक व्यवहार्यता की यात्रा में इस नई जैवअपघटनीय(बायोडिग्रेडेबल)सामग्री को पारंपरिक प्लास्टिक के लिए बनाए गए मौजूदा विनिर्माण बुनियादी ढांचे में एकीकृत करना शामिल है।अल्जेनेसिस ने इस दिशा में काफी प्रगति कर ली है, क्रमशः लेपित कपड़ों और सेल फोन मामलों में अनुप्रयोगों का पता लगाने के लिए ट्रेलेबोर्ग और राइनोशील्ड जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी की है।
इस जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) प्लास्टिक विकल्प को विकसित करने की यात्रा संदेह और चुनौतियों से रहित नहीं रही है।
प्रोफेसर बुर्कर्ट ने कहा, “जब हमने यह काम शुरू किया, तो हमें बताया गया कि यह असंभव है।अब हम एक अलग वास्तविकता देख रहे हैं।अभी बहुत काम किया जाना बाकी है, लेकिन हम लोगों को आशा देना चाहते हैं। यह संभव है।”यह शोध प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है।पारंपरिक प्लास्टिक के लिए एक व्यवहार्य, जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) विकल्प पेश करके, यह अध्ययन न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देता है बल्कि एक स्वस्थ, टिकाऊ भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
आज की पर्यावरण के प्रति जागरूक दुनिया में, “जैवनिम्नी कृत”(बायोडिग्रेडेबल) शब्द स्थिरता का पर्याय बन गया है, जो किसी सामग्री की प्रकृति में लौटने और ग्रह पर इसके प्रभाव को कम करने की क्षमता का संकेत देता है।कुछ प्रकार के प्लास्टिक सहित जैव अपघटनीय सामग्री, प्रदूषण को कम करने और उत्पादों के लिए अधिक टिकाऊ जीवनचक्र को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसी सामग्री की रासायनिक संरचना उसकी जैव निम्नीकरणीयता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रकृति से प्राप्त पदार्थ, जैसे सेलूलोज़, स्टार्च और लैक्टिक अम्ल, कई जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) सामग्रियों का आधार बनते हैं।
सूक्ष्मजीव इन प्राकृतिक घटकों को आसानी से तोड़ सकते हैं। इसके विपरीत, सिंथेटिक (संश्लेषित)प्लास्टिक में अक्सर बहुलक (पॉलिमर)की लंबी, स्थिर श्रृंखलाएं होती हैं जो जैव अपघटन(बायोडिग्रेडेशन) का विरोध करती हैं।आणविक संरचना क्षरण को प्रभावित करती है ,किसी सामग्री में अणुओं के बीच की व्यवस्था और बंधन भी इसकी जैव अपघटनीयता (बायोडिग्रेडेबिलिटी) को प्रभावित करते हैं। सरल, अधिक आसानी से टूटने वाली संरचनाओं में जैव निम्नीकरण की संभावना अधिक होती है।जटिल आणविक संरचनाओं वाली सामग्री सूक्ष्मजीवों के लिए उपभोग करने और अलग होने के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण साबित होती है।
सूक्ष्मजीव और जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) प्लास्टिक जैवअपघटन(बायोडिग्रेडेशन )सामग्री को उपभोग करने और तोड़ने के लिए जीवाणु (बैक्टीरिया)और कवक जैसे सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति पर निर्भर करता है।निपटान वातावरण में इन छोटे अपघटकों(डीकंपोजरों) की उपलब्धता आवश्यक है। उनके बिना, संभावित रूप से जीव निम्नीकृत (बायोडिग्रेडेबल) सामग्री भी लंबे समय तक बनी रह सकती है।पर्यावरणीय परिस्थितियाँ भी जैव अपघटन को प्रभावित करती हैं, तापमान, नमी, ऑक्सीजन का स्तर और पीएच सभी जैव निम्नीकरण की दर में भूमिका निभाते हैं। विभिन्न सामग्रियां और सूक्ष्मजीव अलग-अलग परिस्थितियों में पनपते हैं। इष्टतम पर्यावरणीय कारकों को सुनिश्चित करने से अपघटन प्रक्रिया में काफी तेजी आ सकती है।योजक(एडिटिव्स) जैव अपघटनीयता को बढ़ाते हैं,
प्लास्टिक निर्माता इसमें सुधार कर सकते हैं,कुछ प्लास्टिक की जैवअपघटनीयता(बायोडिग्रेडेबिलिटी)इसमें योजक( एडिटिव्स) शामिल शामिल होने के कारण बढ़ जाती है ।जैसा कि पूर्व में बताया गया है कि स्टार्च या सेलूलोज़ जैव अपघटनीयता में मदद करते हैं।
सूक्ष्मजीव स्टार्च या सेल्यूलोज को खाकर उन्हे सरल अणुओं में तोड़ देते हैं।अगर प्लास्टिक सामग्री भी शैवाल जिनकी कोशिका भित्ति भी स्टार्च या सैलूलोज से बनी होती है और उनमें योजक मिलाकर बहुलक या प्लास्टिक सामग्री बनाई जाए तो अधिक आसानी से ऐसे प्लास्टिक को जैव निम्नीकृत किया जा सकता है।योजक एक प्रारंभिक बिंदु प्रदान करते हैं।सतह क्षेत्र प्रक्रिया को गति देता है,बड़े सतह क्षेत्र वाली सामग्री सूक्ष्मजीवों के लिए अधिक सुलभ होती है, जिससे तेजी से जैव निम्नीकरण होता है। छोटे कण या पतली फिल्में बड़ी, मोटी वस्तुओं की तुलना में अधिक तेजी से नष्ट होती हैं। किसी सामग्री का सतह क्षेत्र बढ़ाने से उसके अपघटन में तेजी लाने में मदद मिल सकती है।
जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) प्लास्टिक पर अंतिम बात यह है कि , बायोडिग्रेडेबल सामग्री पारंपरिक प्लास्टिक के लिए अधिक पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करती है, यह समझना महत्वपूर्ण है कि पारंपरिक प्लास्टिक सभी वातावरणों में जल्दी या पूरी तरह से नष्ट नहीं हो सकते हैं।उदाहरण के लिए, लैंडफिल (भूमिगत साइटों)में अक्सर कुशल जैव अपघाटन(बायोडिग्रेडेशन) के लिए आवश्यक ऑक्सीजन और नमी की कमी होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बायोडिग्रेडेबल सामग्री अपने वादे पर खरी उतरें, उचित खाद (अंतिम कार्बनिक उत्पाद)बनाने की स्थितियाँ आवश्यक हैं।
जैव अपघटन (बायोडिग्रेडेबिलिटी) के पीछे के विज्ञान को समझकर, हम उन सामग्रियों के बारे में अच्छे विकल्प चुन सकते हैं जिनका हम उपयोग करते हैं और हम उनका निपटान कैसे करते हैं। बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को चुनने और उचित निपटान की स्थिति सुनिश्चित करने से हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और हरित भविष्य में योगदान करने में मदद मिल सकती है।अतः शैवाल आधारित जैव अपघटनीय प्लास्टिक भविष्य का सर्वाधिक स्वच्छ प्लास्टिक सामग्री सिद्ध होगा।