Akhilesh Yadav On Bahraich Violence : उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा विधायक भाजपा कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करा रहे हैं। साथ ही दंगा भड़काकर भाजपा कार्यकर्ताओं को फंसाया जा रहा है। अब पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी कहना शुरू कर दिया है कि भाजपा का किसी से कोई संबंध नहीं है। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते हुए अखिलेश यादव ने लिखा, ‘ऐसी भाजपा की राजनीति और भाजपा की सत्ता की भूख पर शर्म आती है जो देश के भाईचारे की राजनीति में दंगा भड़काने की साजिश करती है। बहराइच हिंसा के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं, जिससे भाजपा अब मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई है।
भाजपा दंगा भड़काती है और अपने कार्यकर्ताओं को फंसाती है। Akhilesh Yadav On Bahraich Violence
उन्होंने आगे कहा, ‘भाजपा के विधायक खुद भाजपा कार्यकर्ताओं पर साजिश की एफआईआर दर्ज करा रहे हैं और दंगाई छिपे हुए कैमरों के सामने सच्चाई उजागर कर रहे हैं। भाजपा के जो थोड़े से समर्थक और मतदाता बचे हैं, वे भी भाजपा के इस षड्यंत्रकारी और हिंसक रूप को देखकर शर्मिंदा हैं। भाजपा ने अपने समर्थकों की भावनाओं का इस्तेमाल उन्हें गुमराह करने और सत्ता बरकरार रखने के लिए किया है।’ सच तो यह है कि भाजपा अपने ही लोगों के खिलाफ साजिश कर रही है। भाजपा दंगा भड़काकर भाजपाइयों को फंसा रही है। इसीलिए भाजपा विधायक भाजपाइयों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा रहे हैं।
बहराइच हिंसा है भाजपा की सोची समझी साजिश। Akhilesh Yadav On Bahraich Violence
कल भी अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि बहराइच हिंसा भाजपा की सुनियोजित साजिश है। मैनपुरी में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘बहराइच में जो कुछ भी हुआ, वह आगामी चुनावों को देखते हुए भाजपा ने सुनियोजित किया था।’ दरअसल, बहराइच में धार्मिक यात्रा के दौरान एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई थी, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दुकानों, वाहनों और एक अस्पताल में आग लगा दी थी।
राम गोपाल मिश्रा की हत्या के बाद मामले ने पकड़ी तूल।
13 अक्टूबर को हुई हिंसा के दौरान रेहुआ मंसूर गांव निवासी 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महाराजगंज में सांप्रदायिक झड़प एक धार्मिक स्थल के बाहर तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए विवाद के कारण हुई थी। घटना सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई, जिसके कारण इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ हुई और चार दिनों तक इंटरनेट बंद रहा। मिश्रा की हत्या और उसके बाद हुई हिंसा के संबंध में 13 अक्टूबर से 16 अक्टूबर के बीच जिले में कम से कम 11 एफआईआर दर्ज की गईं।