Akash Anand in BSP : लोकसभा चुनाव 2024 में मिली करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी ने आकाश आनंद को वापस बुला लिया। रविवार को हार की समीक्षा के लिए मायावती ने बैठक की। जिसमें मायावती ने एक बार फिर से पार्टी की जिम्मेदारी अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप दी। आकाश आनंद दोबारा बसपा के राष्ट्रीय संयोजक और मायावती के उत्तराधिकारी बन गए हैं। इस घोषणा के साथ पार्टी ने कई अहम फैसले भी लिए हैं।
बैठक में आकाश ने छुए मायावती के पैर
आज 23 जून, रविवार को बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बैठक बुलाई। बैठक में मायावती के साथ उनके भतीजे आकाश आनंद (Akash Anand in BSP) भी साथ पहुंचे। इस दौरान मायावती ने आकाश को अपने पास बुलाया। इसपर आकाश ने भी उनके पैर छू लिए। फिर बुआ और भतीजे के बीच कुछ देर बातचीत हुई।
बसपा के राष्ट्रीय संयोजक बने आकाश आनंद (Akash Anand in BSP)
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी के हित के लिए कुछ अहम फैसले लिए हैं। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी की जिम्मेदारी अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप दी। पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के लिए मायावती ने आकाश आनंद को बसपा के राष्ट्रीय संयोजक और अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
पहले भी आकाश को बनाया था उत्तराधिकारी
बता दें कि आकाश आनंद (Akash Anand in BSP) को पहले भी पार्टी की बागडोर सौंपी गई थी। मायावती ने डंके की चोट पर आकाश को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया था। साथ ही उन्होंने आकाश को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। मगर लोकसभा चुनाव में रैली के दौरान बिजेपी को आतंकवादी कहने पर आकाश पर मुकदमा दर्ज हो गया था। जिसके बाद मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व घोषित करते हुए उनसे सभी अधिकार छीन लिए थे।
बैठक में मायावती ने लिए अन्य फैसले (Akash Anand in BSP)
बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने पार्टी की सदस्यता शुल्क को कम करने के ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब पार्टी की सदस्यता लेने के लिए 200 रुपये के बजाय केवल 50 रुपये ही देने होंगे। पार्टी ने यह फैसला बीएसपी के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए किया है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए पार्टी ने कोआर्डिनेटरों से लेकर जिला स्तर के कई पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
अस्तित्व बचाना बसपा के लिए चुनौती
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में बसपा ने सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन किया। बसपा को एक भी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिली। जाहिर सी बात है कि अब पार्टी 10 सांसदों से शून्य में सिमट चुकी है। जिसके बाद सदन में बसपा का अस्तित्व मिट गया है। अगर पार्टी का यही हाल रहा तो आने वाले समय में विधानसभा चुनावों में भी पार्टी सभी खाने चित हो जाएगी। विधानसभा में बसपा ने विधायकी खो दी तो बसपा का फिर लौट पाना असंभव हो जाएगा।
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