‘Mahabharata: Ek Dharma Yudh’ : Mahabharat की पौराणिक कहानी को AI (Artificial Intelligence) के जादू से नए अंदाज में पेश करने वाला शो ‘Mahabharata: Ek Dharma Yudh’ रिलीज होते ही विवादों के घेरे में आ गया है। Jio Hotstar पर स्ट्रीम हो रहा यह शो पूरी तरह AI से तैयार किया गया है, बिना किसी एक्टर या मानवीय मेहनत के। लेकिन पहले ही एपिसोड में एक बड़ा ब्लंडर (Blunder) हो गया – हस्तिनापुर (Hastinapur) के राजमहल में प्राचीन काल के बीच मॉडर्न फर्नीचर (Modern Furniture) नजर आ गया. फिर क्या सीन देखते ही हंगामा मच गया और ट्रॉल्लिंग शुरू हो गयी.
25 अक्टूबर को रिलीज हुआ ‘Mahabharata: Ek Dharma Yudh’ का पहला एपिसोड
पहले एपिसोड में, जो 25 अक्टूबर को रिलीज हुआ, मां गंगा नवजात प्रिंस देवव्रत (भीष्म) को लेकर हस्तिनापुर पैलेस के कमरे में पहुंचती हैं। सीन तो प्राचीन इंटीरियर से सजा लग रहा था, लेकिन बेड के बगल में खड़ी साइड टेबल पर ड्रॉअर बने हुए दिखे। प्राचीन महाभारत (Mahabharat) के दौर में यह मॉडर्न फर्नीचर (Modern Furniture) देखकर दर्शकों के होश उड़ गए। सोशल मीडिया पर स्क्रीनशॉट वायरल हो गए, और ट्रोल्स ने जमकर मजे लिए।
सोशल मीडिया पर ट्रॉल्लिंग की भरमार
सोशल मीडिया पर स्क्रीनशॉट वायरल होते ही , ट्रोलर्स ने AI Generated ‘Mahabharata: Ek Dharma Yudh’ को ट्रोल करना शुरू कर दिया। एक यूजर ने लिखा, “अब बस वायरलेस चार्जर (Wireless Charger) की कमी रह गई!” वहीं दूसरे ने कहा, “बेडसाइड टेबल देखकर हंसी नहीं रुक रही – क्या यह हस्तिनापुर (Hastinapur) है या IKEA शोरूम?” एक और ट्वीट में दीवार पर टंगी फोटो में सूट-बूट पहने शख्स को नोटिस किया गया, जिससे विवाद और भड़क गया। #HastinapurBlunder #ModernFurnitureFail
‘Mahabharata: Ek Dharma Yudh’ शो का बैकग्राउंड
यह AI महाभारत (AI Mahabharat) बीआर चोपड़ा की क्लासिक सीरीज से प्रेरित है, लेकिन टेक्नोलॉजी के दम पर बिना किसी कास्टिंग के बनाया गया। अभी सिर्फ 2 एपिसोड रिलीज हुए हैं, और रिस्पॉन्स मिक्स्ड है। कुछ दर्शक इसे इनोवेटिव एक्सपेरिमेंट बता रहे हैं, तो कुछ कह रहे हैं – “महाभारत (Mahabharat) जैसे आइकॉनिक किरदारों को AI में देखना दुखद है।” बजट पर भी सवाल उठे हैं, और कईयों का मानना है कि यह शो फन के लिए एक बार देखने लायक है। हलाकि मेकर्स ने बड़ा रिस्क लिया है AI का इस्तेमाल करके, लेकिन ऐसे ब्लंडर्स से सवाल उठ रहे हैं कि क्या टेक्नोलॉजी पौराणिक कहानियों को सही न्याय दे पाएगी?
