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‘अहमदाबाद विमान क्रैश’ चौकाने वाले तथ्य आये सामने

Ahemdabad Plan Crash News

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Ahemdabad Plan Crash News: ऊंचाइयों पर उड़ान भरने का सपना, आधुनिक तकनीक का करिश्मा, ईंधन बचाने वाला ‘चमत्कारी’ विमान! ये है बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का दावा! लेकिन क्या इस चमक के पीछे छुपा है एक काला सच? क्या मुनाफे की हवस के आगे बेची जा रही हैं सैकड़ों लोगों की जिंदगियां? अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171 का क्रैश एक बार फिर सवाल उठाता है. कई सालों से एविएशन कवर करने वाले देश के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सुरीन ने फेसबुक पर इस घटना पर तथ्यों के साथ पोस्ट लिखी है.

प्रदीप ने लिखा है, “एक सवाल जो हर पुराना एविएशन जर्नलिस्ट पूछता है: ‘क्या आज एयर इंडिया से उड़ना सुरक्षित है?’ जवाब है… नहीं! मैंने 15 साल तक एविएशन कवर किया, और एयर इंडिया मेरी आखिरी चॉइस रही। अहमदाबाद क्रैश पर कोई हैरान नहीं – बस इतना सरप्राइज है कि ये इतने साल बाद हुआ! क्यों? इस घटनाक्रम की हर परत खोलकर आपके सामने इस खबर में हम रखेंगे. आप हमारे साथ वीडियो के अंत तक जरूर बने रहिये।

Boeing 787 Dreamliner Aircraft का इतिहास है बहुत ही डरावना!

गुरुवार, 12 जून 2025। अहमदाबाद एयरपोर्ट। लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171, जिसमें थे 242 लोग – 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर। टेकऑफ के दौरान ही विमान रनवे से हटा, क्रैश हुआ। एक यात्री को छोड़ कर सभी की मौत। लेकिन ये विमान था बोइंग 787 ड्रीमलाइनर। वही विमान जिसे दुनिया भर में बेचा जाता है अपनी ‘अत्याधुनिक तकनीक’ और ‘बेहतरीन ईंधन दक्षता’ के दावों के साथ। लेकिन क्या ये दक्षता आई है सुरक्षा से समझौता करके? बोइंग कंपनी की प्रचार मशीनरी लगातार बताती है कैसे ये विमान एयरलाइंस के लिए पैसे बचाता है। ईंधन कम खर्च करता है। मुनाफा बढ़ाता है।

लेकिन इसी ‘ड्रीम’ विमान का इतिहास है बहुत ही डरावना! एक बार इस विमान की लिथियम-आयन बैटरी में आग लग जाती है! जापान एयरलाइंस का जेट जलकर खाक! पूरी दुनिया में ड्रीमलाइनर्स पर उड़ान प्रतिबंध का शोर हो गया! क्यों? डिज़ाइन में खामी! बोइंग को मजबूरन बैटरी सिस्टम दोबारा बनाना पड़ा। और फिर आया 2024, बोइंग के ही एक इंजीनियर, व्हिसलब्लोअर सैम सालेहपुर ने बोइंग के साउथ कैरोलिना प्लांट में उत्पादन गुणवत्ता पर आपत्ति उठाई थी, उनकी शिकायतों की FAA द्वारा जाँच की गई, और बोइंग को कुछ उत्पादन प्रक्रियाएँ सुधारने के निर्देश दिए गए। लेकिन विमान उड़ते रहे हैं! 2022 में, लैटम एयरलाइंस का बोइंग 787 अचानक ऊंचाई गंवाता है! और इसमें 50 लोग घायल ही गए थे!

शेयरधारकों को खुश करने – नए ऑर्डर के लिए, ‘दक्षता’ के नाम पर ‘सुरक्षा’ से समझौता

क्या बोइंग ने ईंधन दक्षता और वजन कम करने की होड़ में, सुरक्षा को पीछे छोड़ दिया? क्या तेजी से प्रोडक्शन और मुनाफे के दबाव में, क्वालिटी कंट्रोल और सख्त टेस्टिंग को नज़रअंदाज किया गया? सोचिए, अहमदाबाद में जो विमान क्रैश हुआ, वो 2014 में बना था। उसने देखा है ड्रीमलाइनर का पूरा संकटपूर्ण इतिहास! जांच चल रही है, लेकिन क्या ये सिर्फ एक ‘दुर्घटना’ है? या फिर एक पैटर्न का हिस्सा है? एक ऐसी कंपनी का पैटर्न जो अपने शेयरधारकों को खुश करने के लिए, नए ऑर्डर हासिल करने के लिए, ‘दक्षता’ के नाम पर ‘सुरक्षा’ से समझौता कर रही है? हर उड़ान पर बैठे हैं मां-बाप, बच्चे, प्यार करने वाले। हर जीवन अनमोल है। क्या किसी एयरलाइन या निर्माता को ये अधिकार है कि वो मुनाफे की हवस में, जानबूझकर या लापरवाही से, इन जिंदगियों को जोखिम में डालें? व्हिसलब्लोअर सैम सालेहपुर ने खतरे की घंटी बजाई थी। अहमदाबाद की घटना एक और जोरदार चेतावनी है! ये सिर्फ बोइंग या एयर इंडिया का मुद्दा नहीं है। ये पूरे विमानन उद्योग का सवाल है। सवाल मानवीय जीवन की कीमत का है। सवाल पारदर्शिता और जवाबदेही का है।

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान कबाड़ से ज्यादा कुछ नहीं!

जानिये वो सच जो मीडिया ने कभी छापने की हिम्मत नहीं की. वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सुरीन ने अपनी पोस्ट में लिखा है, कि एयर इंडिया की इंटरनल रिपोर्ट कबूल करती है—’नए स्पेयर पार्ट्स खरीदने के पैसे नहीं!’ पुराने टायर, जर्जर इंजन… ये विमान कबाड़ से ज्यादा कुछ नहीं! सरकार ने रतन टाटा की दिली ख्वाहिश पूरी करने के लिए करोड़ों का रिबेट देकर एयर इंडिया थमाई! टाटा जानते थे ये बेड़ा मौत का कुंआ है! टाटा ने एयर इंडिया के लिए जिन नए प्लेन्स का ऑर्डर‍ दिया उन्हें आने में अभी भी लगभग 2-3 साल लगेंगे. ऐसे में कंपनी बेचारी क्या करती? सबसे आसान तरीक़ा यही था कि यात्रियों को लुभाने के लिए लोगो बदल दीजिए, एयर होस्टेस की ड्रेस अप़डेट कर दीजिए और प्लेन के सीट कवर बदल दीजिए. कंपनी ने वही ही किया. लेकिन इंजन उसी तरह ठीक कराते रहे जैसे कोई अपनी कार को शोरूम में ठीक करवाने की जगह नज़दीकी कार मार्केट में ठीक करा लेता है.

इस हादसे को पायलट की गलती बताकर रफा-दफा करने का प्रयास किया जा सकता है। क्यों? क्योंकि अगर बोइंग 787 की गलती साबित हो गई तो एयर इंडिया को सारे डीमलाइनर ग्राउंड करने होंगे। क्या हम सिर्फ मुनाफे के आंकड़े हैं? या हमारी जान की भी कोई कीमत है? आप बताइए — क्या ऐसे सिस्टम पर हम भरोसा कर सकते हैं? कॉमेंट में जवाब जरूर दीजिए! अगर आपको ये सच्चाई ज़रूरी लगी हो, और अगर आप चाहते हैं कि यह सच्चाई हर भारतवासी तक पहुँचे तो इस वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और शब्द साँची को सब्सक्राइब ज़रूर करें! धन्यवाद

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