Agreement between India and China:भारत-चीन सीमा तनाव पर समझौते की यह खबर ऐसे समय आई है जब इस हफ्ते रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ होंगे। दोनों नेताओं की बीच मुलाकात की अटकलें भी लगाई जा रही थीं।
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आपको बता दे कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 52 महीनों से चल रहा सीमा तनाव सुलझ गया है। दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर चली कवायद के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैन्य तनाव घटाने पर सहमति बन गई है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई घटनाओं के बाद से हम चीनी पक्ष के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर लगातार संपर्क में थे। डब्ल्यूएमसीसी और सैन्य कमांडर स्तर पर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है।
भारत-चीन सीमा पर सैन्य गश्त पर बनी बात
उन्होंने बताया कि वार्ता की इन कवायदों के कारण कई मोर्चों पर टकराव और तनाव मिटाने में कामयाबी मिली है। फिर भी असहमति के कुछ बिंदु बाकी थे। विदेश सचिव के मुताबिक पिछले कुछ हफ्तों में हुई वार्ताओं के बाद भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सैन्य गश्त की व्यवस्था को लेकर सहमति बन गई है। इसके चलते सैन्य आमने-सामने की स्थिति अब सुलझ गई है। सहमति विशेष रूप से डेपसांग और डेमचौक क्षेत्रों में गश्त से संबंधित है।
भारत-चीन सीमा तनाव पर समझौते की यह खबर ऐसे समय आई है जब इस हफ्ते रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ होंगे। दोनों नेताओं की बीच मुलाकात की अटकलें भी लगाई जा रही थीं। विदेश सचिव ने ब्रिक्स शिखर बैठक के हाशिए पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की पुष्टि तो नहीं की लेकिन इस संभावना को खारिज भी नहीं किया।
सैन्य टकराव और तनाव के कारण गश्त कहां तक हो इसको लेकर ही दोनों पक्षों के बीच असहमति के गहरे मतभेद थे। लगातार भारत की जमीन पर अपना कब्जा बढ़ाने की जुगत में लगे चीन की नीयत को लेकर भी सवाल थे। ऐसे में भारत ने सैन्य पैंतरों का उसी भाषा में जवाब देने के साथ ही चीन को समझौते की मेज पर रजामंदी की दस्तखत करने की नौबत तक ला ही दिया।
भारत-चीन के बीच एलएसी पर सीमा गश्त पर सहमति बनने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, हम कह सकते हैं कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम उस जगहों पर गश्त करने में सक्षम होंगे जहां हम 2020 से पहले कर रहे थे। मुझे लगता है कि यह एक अच्छा विकास है।
कल रूस के लिए रवाना होंगे पीएम मोदी
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कल कजान के लिए रवाना होंगे। इस सम्मेलन का विषय वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना है। भारत ब्रिक्स में अहम स्थान रखता है और उसके योगदान ने आर्थिक और सतत विकास, वैश्विक शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में ब्रिक्स के प्रयासों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स के विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन होगा।
उन्होंने बताया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में संस्थापक सदस्यों के साथ-साथ नए सदस्य भी शामिल होंगे। शिखर सम्मेलन 22 अक्तूबर से शुरू होगा और पहले दिन की शाम को केवल नेताओं के लिए रात्रिभोज होगा। सम्मेलन का मुख्य दिन 23 अक्तूबर है। दो मुख्य सत्र होंगे। मिस्त्री ने कहा कि नेताओं से उम्मीद की जा रही है कि वे कजान घोषणा को अपनाएंगे, जो ब्रिक्स के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। शिखर सम्मेलन 24 अक्तूबर को समाप्त होगा। लेकिन प्रधानमंत्री 23 अक्तूबर को नई दिल्ली लौटेंगे। शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री की कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी हो सकती हैं।
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