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अग्निकुल कॉसमॉस:अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने रचा इतिहास

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और सफलता दर्ज की है.चेन्नई के एक स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस के द्वारा बनाए गए अग्निबान रॉकेट की कल यानि 30 मई को सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की गयी.ये लॉन्चिंग ISRO के श्रीहरिकोटा में बने पहले निजी लॉन्चपैड के द्वारा की गयी है.लॉन्चिंग के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है. इसे भारत के लिए साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है.इसके बारे में बात करेंगे उससे पहले आइये जानते हैं स्टार्टअप अग्निकुल और इसके द्वारा बनाये गए अग्निबाण रॉकेट के बारे में.

Agni Kul Cosmos Private Limited ये एक एयरोस्पेस स्टार्टअप है जिसका हेडक्वार्टर IIT मद्रास में है.इसकी स्थापना श्रीनाथ रविचंद्रन और मोइन एसपीएम ने महज़ 3 करोड़ रूपए के साथ की थी.कंपनी के फाउंडेशन में चार लोगों का नाम आता है.दो की बात हमने पहले ही कर ली है श्रीनाथ रविचंद्रन और मोईन एसपीएम,2 अन्य हैं सत्यनारायण चक्रवर्ती और जनार्दन राजू।लेकिन कम्पनी के मेन फाउंडर श्रीनाथ रविचंद्रन ही हैं। बात कर लेते हैं श्रीनाथ रविचंद्रन की.रविचंद्रन ने चेन्नई के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग गुंडी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है.बाद में इन्होने अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से फाइनेंसियल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की.इसके साथ ही यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में भी इन्होने मास्टर किया है. इनका इंजीनियरिंग,फाइनेंस और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करने का लम्बा अनुभव रहा है. पहले ट्रेडिंग करते थे बाद में एयरोस्पेस इंजीनियर बन गए.

क्या है अग्निबाण .ये दुनिया का पहला सिंगल-पीस 3D प्रिंटेड इंजन का उपयोग करने वाला रॉकेट है। इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है और इसे यहीं बनाया गया है हालांकि कंपनी ने कुछ दिन पहले ही अपने पहले रॉकेट के टेस्ट फ्लाइट को लॉन्च से कुछ सेकंड पहले रद्द कर दिया था। पिछले तीन महीनों में चार बार लॉन्चिंग रद्द हुई थी.पांचवीं बार में ये बड़ी सफलता हासिल हुई है.

इसे ऐतिहासिक क्यों माना जा रहा है? दरअसल इसरो ने पहली बार सेमी-क्रायोजेनिक इंजन वाले रॉकेट को सफलतापूर्वक लांच किया है. सेमी-क्रायोजेनिक इंजन में ईंधन के रूप में तरल और गैस के मिश्रण का का इस्तेमाल किया जाता है.

राकेट लॉन्चिंग के बाद अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा “अग्निकुल ने आज जो हासिल किया है वो 1963 में थुम्बा लॉन्च स्टेशन से भारत द्वारा अपने पहले रॉकेट के लॉन्च के बाद से एक ऐतिहासिक उपलब्धि से कम नहीं है। यह भारत के फलते निजी अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक बहुत बड़ा उत्साहवर्धन और गर्व का क्षण है और यह भविष्य में हमारे लिए क्या रखता है, इसकी सिर्फ एक झलक है। हमारी हार्दिक बधाई इस पूरे अभियान के पीछे की टीम को और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं!”

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