Arvind Kejriwal resignation : साढ़े पांच महीने से ज्यादा समय तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आए तो उन्होंने दो दिन बाद ही पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उनके सामने यह स्थिति क्यों आई, इसके पीछे के कारणों पर अगर गौर करें तो आबकारी घोटाला एक ऐसा मामला है, जिसने आम आदमी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
मनीष सिसोदिया के साथ केजरीवाल भी इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पांच महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहे हैं और काफी मुश्किलों के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल पाई थी। उसमें भी कोर्ट ने पाबंदियां लगाई हैं।
आबकारी घोटाला क्या है?
यह 2021 की बात है, जब दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी, सरकार ने इस नीति के जरिए राजस्व बढ़ाने का दावा किया था। नीति लागू हुई, दिल्लीवासियों को सस्ती दरों पर शराब मिल रही थी।
आधे दाम पर शराब मिल रही थी। Arvind Kejriwal resignation
उस साल मार्च तक लोगों को आधे दाम पर भी शराब मिल गई थी। इस नीति में एक नया प्रयोग यह किया गया कि शराब बेचने का काम निजी कंपनियों को सौंप दिया गया। वहीं, यही वह मुद्दा था जो न केवल केजरीवाल बल्कि पूरी आम आदमी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गया।
आप के बड़े नेता जेल पहुंच गए।
एलजी को मिली शिकायतों के आधार पर तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने मामले की जांच की। एलजी को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्होंने इसमें बड़े घोटाले की बात कही और यहीं से इस घोटाले की बात सामने आई। 22 जुलाई 2022 को एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की।
नेताओं में सबसे पहले सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और 27 सितंबर 2022 को केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले मीडिया प्रभारी विजय नायर को गिरफ्तार किया। इसके बाद कई शराब कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया और 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने नौ घंटे लंबी पूछताछ के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया।
केजरीवाल की गिरफ्तारी इसी साल मार्च में हुई। Arvind Kejriwal resignation
इसके बाद 4 अक्टूबर 2023 को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद संजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया और ईडी ने 21 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल 13 सितंबर को जेल से बाहर आए।