बाप पाक फौज का अफसर फिर भी अपना देश छोड़कर भारत में बसे ADNAN SAMI, बन गए SUPER HIT स्टार

Adnan Sami Biography In Hindi

Adnan Sami Biography In Hindi | कभी तो नज़र मिलाओ कभी तो क़रीब आओ जो नहीं कहा है कभी तो समझ भी जाओ” जब भी कभी हम ये गाना सुनते हैं तो पियानो की ओट से एक तंदुरुस्त ख़ूबसूरत चेहरे वाला मोटा सा शख़्स, हमें गाने में नज़र आने वाले कलाकारों से कहीं ज़्यादा याद आता है,

जिसने कभी,’ तेरा चेहरा जब नज़र आए ‘, साथिया फिल्म में ‘ उड़ी उड़ी’ ‘ बजरंगी भाईजान ‘ फिल्म’ में, ‘ भर दो झोली क़व्वाली ‘ और लकी फिल्म में अपनी आवाज़ और मौसिक़ी का तिलिस्म बिखेरा ।

उनकी आवाज़ और मुख्तलिफ अंदाज़ का जादू आज भी बरक़रार है, जी हां ये हैं अदनान सामी जो केवल गाते नहीं है अपना पियानो भी बजाते हैं ,म्यूज़िक कंपोज़ करने के साथ-साथ एक्टिंग भी करते हैं ।

आशा भोसले ने बढ़ाया हौसला

15 अगस्त 1971 को लंदन , इंग्लैंड में पैदा हुए अदनान के वालिद साहब अरशद सामी खान पाकिस्तान के लड़ाकू पायलट थे और उनकी मां नौरीन जम्मू कश्मीर की रहने वाली थीं ।महज 5 साल की उम्र में पियानो बजाने वाले अदनान 35 से ज़्यादा म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स प्ले कर लेते हैं और नौ साल की उम्र में उन्होंने संगीत की पहली रचना की थी।

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अदनान सामी ने स्कूल की छुट्टियों के दौरान भारत आने पर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा से भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की। भारतीय गायिका आशा भोसले ने उन्हें दस साल की उम्र में लंदन में आरडी बर्मन के संगीत कार्यक्रम में देखा और तबसे वो उनकी हौसला अफज़ाई करने लगी कि वो गाए भी और वो दिन जल्द आ गया जब दोनों ने साथ मिलकर एल्बम बनाया ।

चल पड़ा गीतों का सिलसिला

उनका पहला एकल, “रन फ़ॉर हिज़ लाइफ़”, 1986 में रिलीज़ हुआ। यह अंग्रेज़ी में था और यूनिसेफ के लिए रिकॉर्ड किया गया था। यह मध्य पूर्व के संगीत चार्ट में नंबर 1 पर था हिट हुए: “टॉक टू मी”, “हॉट समर डे” और “यू आर माई बेस्ट केप्ट सीक्रेट”।

औपचारिक तौर पर जिस एल्बम ने सिक्का जमाया वो था 1989 में आया ,” द वन एंड ओनली “जिसमें , आपने पियानो पर तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का साथ निभाया था।

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1991 में अकेले अपने गायन का जलवा बिखेरा एल्बम राग टाइम के ज़रिए , सन 2000 में, आशा भोसले ने भारत में अदनान सामी के साथ मिलकर “कभी तो नज़र मिलाओ” नाम का प्रेम गीतों का एक संग्रह लेके आईं जिसका ख़ुंँमार आज तक बरक़रार है और दिन ब दिन दिलकश नग़्मों का सिलसिला आज भी जारी है।

पर्सनल लाइफ में रहा उतार चढ़ाव

  • उन्होंने 1986 में म्यूज़िकल करियर की शुरुआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
  • लेकिन अदनान की प्रोफेशनल लाइफ जितनी सक्सेसफुल रही, उतनी ही उतार-चढ़ाव से भरी उनकी पर्सनल लाइफ भी है उन्होंने 4 शादियां की हैं और इसमें से तीन शादियां 5 सालों तक भी नहीं टिक पाई उनकी पहली शादी 1993 में 22 साल की उम्र में, 31 बरस की पाकिस्तानी एक्ट्रेस ज़ेबा बख्तियार से हुई थी ,आप दोनों का एक बेटा है अज़ान जो एक बड़ा आर्टिस्ट है और अपने पापा के नक्श ए क़दम पर चलकर उन्हीं की तरह वेट लॉस के लिए भी मशहूर हो चुका है।
  • अदनान के वेट लॉस की बात करें तो उन्होंने अपने वज़न को 230 किलो से 70 किलो तक घटाया था ।
  • अदनान ने दूसरी शादी दुबई बेस्ड बिजनेसवुमन अरब सबाह गलादरी से की हालांकि इनसे उन्होंने दो बार शादी की और
  • 2010 में रोया फरयाबी अदनान की तीसरी पत्नी बनीं।

भारतीय नागरिकता और पुरस्कारों की राह

अदनान हमेशा से भारतीय नागरिक बनना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने आवेदन भी दिया था और दिसंबर, 2015 में भारत सरकार ने अदनान सामी की इंडियन सिटिजनशिप को मंज़ूर कर लिया। और यहां के होने के बाद उन्होंने क़रीब क़रीब हर भारतीय भाषा में गाने बनाए।

इस अमूल्य योगदान के लिए उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। ” उन्हें पियानो पर संतूर और भारतीय शास्त्रीय संगीत बजाने वाले पहले संगीतकार” के रूप में श्रेय दिया गया है।

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जब वो छोटे थे तो यूएस-आधारित कीबोर्ड पत्रिका की एक समीक्षा ने उन्हें दुनिया का सबसे तेज़ कीबोर्ड वादक बताया था,तो वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया ने उन्हें “संगीत का सुल्तान” कहा है।

अपने 32 साल के करियर में, अदनान ने निगार पुरस्कार, बोलन अकादमी पुरस्कार और ग्रेजुएट पुरस्कार सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। अदनान संगीत में उत्कृष्टता के लिए नौशाद संगीत पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं।

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