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Starlink: स्टारलिंक को देना होगा स्पेक्ट्रम टैक्स! महंगी हो सकती है इंटरनेट सर्विस

starlink news

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Spectrum Tax on Starlink: एलन मस्क की स्टारलिंक को स्पेक्ट्रम टैक्स देना पड़ सकता है। यानी कि स्टारलिंक को अपने काम के लिए सरकार को कुछ पैसे चुकाने पड़ सकते हैं। इस टैक्स के कारण स्टारलिंक की सर्विस महंगी हो सकती है। टैक्स के नियमों के बारे में कंपनी अभी बातचीत कर रही है।

Starlink in India: एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक (Starlink) भारत में अपनी सर्विस देने के लिए तैयार है। स्टारलिंक ने इंटरनेट सर्विस देने के लिए जियो और एयरटेल से हाथ मिलाया है। यदि आप स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस का लाभ उठाना चाह रहे हैं तो इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसके पीछे का बड़ा कारण है ‘स्पेक्ट्रम टैक्स’।

दरअसल, स्टारलिंक को भारत में स्पेक्ट्रम टैक्स चुकाना पड़ सकता है। कुछ साल पहले ही रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी बड़ी कंपनियों के लिए यह टैक्स हटा दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि यदि यह टैक्स लगाया जाता है तो स्टारलिंक की सर्विस भारत में महंगी हो सकती है। यह अमेरिकी सैटेलाइट कंपनी के लिए एक और मुश्किल राह हो सकती है। कंपनी नियमों पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है।

कितना टैक्स चुकाना पड़ सकता है?

सूत्रों का कहना है कि स्टारलिंक को टेलीकॉम की एयरवेव्स मिलेंगी। यह एलॉटमेंट नए टेलीकॉम कानून के तहत होगा, जो कि दिसंबर 2023 में पास हुआ था। इसके लिए स्टारलिंक को अपनी कमाई का लगभग 3% स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) चुकाना पड़ेगा। सूत्रों ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से नहीं मिलेगा, इसे बल्कि सरकार देगी। इसलिए स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज लगेगा। अभी इसकी दर तय हो रही है।

सभी टेलीकॉम कंपनियों को 8% लाइसेंस फीस चुकानी पड़ती है। इसके अलावा सैटेलाइट कंपनियों को स्पेक्ट्रम के लिए अलग से चार्ज भी देना होगा। सूत्र ने यह भी कहा कि यह 3% से अधिक भी बढ़ सकता है, लेकिन अभी इस पर चर्चा जारी है।

ट्राई काम कर रही

सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत, उसकी अवधि और टैक्स से जुड़े मामलों पर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार “ट्राई इस नतीजे पर पहुंची है कि सैटेलाइट कंपनियों को एसयूसी देना चाहिए। क्योंकि उन्हें स्पेक्ट्रम एक निश्चित कीमत पर मिलेगा। ट्राई में बातचीत के बाद यह तय किया गया है कि सैटेलाइट कंपनियों को SUC देना होगा। क्योंकि उन्हें स्पेक्ट्रम सरकार देगी।”

सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन पर ट्राई जल्द ही सरकार को अपनी राय देगी। इसके बाद दूरसंचार विभाग (DOT) इस पर विचार करेगा। विभाग को यदि कुछ पूछना होगा तो वह इसके लिए ट्राई से बात करेगा। जब DOT संतुष्ट हो जाएगा तो वह इस मामले को डिजिटल संचार आयोग (DCC) के पास भेजेगा। DCC की मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।

दूसरे सैटेलाइट ऑपरेटरों पर भी लगेगा SUC

जून 2022 में सरकार ने एक फैसला लिया था, जिसमें कहा गया था कि 15 सितंबर 2021 के बाद जो स्पेक्ट्रम नीलाम हुए हैं, उन पर स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज नहीं लगेगा। सूत्रों का कहना है कि SUC दूसरे सैटेलाइट ऑपरेटरों पर भी लगेगा। यह टैक्स सिर्फ स्टारलिंक ही नहीं, बल्कि दूसरी सैटेलाइट कंपनियों को भी देना होगा।

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