अडानी ग्रुप, जेपी एसोसिएट्स का अधिग्रहण क्यों करना चाहता है, आखिर कैसे बर्बाद हुई कंपनी

Adani Group Acquires Jaypee Associates: खबर है कि भारत के प्रमुख औद्योगिक समूहों में से एक, अडानी ग्रुप, हाल ही में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेपी एसोसिएट्स) के अधिग्रहण की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहा है। खबर है अडानी ग्रुप ने जेपी एसोसिएट्स के लिए 12,500 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जिसमें 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का अग्रिम भुगतान भी शामिल है। यह अधिग्रहण केवल अडानी ग्रुप की विस्तारवादी रणनीति बस नहीं है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे एक समय में इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट क्षेत्र की दिग्गज कंपनी जेपी एसोसिएट्स वित्तीय संकट में फंसकर बर्बादी की कगार पर पहुंच गई।

अडानी ग्रुप, जेपी एसोसिएट्स को क्यों खरीदना चाहता है

अडानी समूह, जेपी एसोसिएट्स का अधिग्रहण करना चाहता है, जिसके पीछे कई महत्वपूर्ण व्यापारिक कारण हैं।
सीमेंट क्षेत्र में वर्चस्व-
अडानी ग्रुप पहले ही अंबुजा सीमेंट और एसीसी लिमिटेड के अधिग्रहण के जरिए भारत के सीमेंट उद्योग में अपनी मजबूत स्थिति बना चुका है। जेपी एसोसिएट्स के पास लगभग 10.55 मिलियन टन प्रति वर्ष की सीमेंट उत्पादन क्षमता है, जो अडानी के लिए इस क्षेत्र में अपनी क्षमता को दोगुना करने का अवसर प्रदान करती है। अडानी का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में अपनी सीमेंट उत्पादन क्षमता को 70 मिलियन टन से बढ़ाकर 140 मिलियन टन करना है। जेपी की परिसंपत्तियां इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

रियल एस्टेट में अवसर

जेपी एसोसिएट्स के पास कई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, जैसे नोएडा में जेपी स्पोर्ट्स सिटी, अधूरे पड़े हैं। अडानी ग्रुप इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करके रियल एस्टेट क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकता है। यह न केवल कंपनी के लिए लाभकारी होगा, बल्कि उन हजारों खरीदारों के लिए भी राहत की बात होगी, जिन्होंने इन प्रोजेक्ट्स में निवेश किया था।

कम लागत में मूल्यवान परिसंपत्तियां

जेपी एसोसिएट्स वर्तमान में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) से गुजर रही है। इसका मतलब है कि कंपनी की परिसंपत्तियां अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। अडानी ग्रुप इस मौके का फायदा उठाकर अपनी पोर्टफोलियो को मजबूत करना चाहता है। जेपी एसोसिएट्स की परिसंपत्तियों का अधिग्रहण अडानी ग्रुप को इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, और सीमेंट जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

जेपी एसोसिएट्स के बर्बाद होने की कहानी

जयप्रकाश एसोसिएट्स, जो कभी भारत की अग्रणी इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट कंपनियों में से एक थी, आज भारी कर्ज और प्रबंधन की कमियों के कारण वित्तीय संकट में फंस चुकी है। इसके पतन के के कई प्रमुख कारण हैं।

भारी कर्ज के बोझ से दिवालिया हुई कंपनी

जेपी एसोसिएट्स पर वर्तमान में 55,493.43 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसे चुकाने में कंपनी पूरी तरह असमर्थ रही है। यह कर्ज कंपनी के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गया, जिसने इसके परिचालन और विकास को बुरी तरह प्रभावित किया। 3 जून 2024 को, ICICI बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे प्रमुख बैंकों की याचिका के बाद, NCLT ने जेपी एसोसिएट्स के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की। यह कंपनी के लिए अंतिम झटका साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद कंपनी की परिसंपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई।

परिचालन संबंधी समस्याएं

जेपी एसोसिएट्स को अपने कई प्रोजेक्ट्स में देरी और लागत में वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। खास तौर पर रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, जैसे जेपी विश टाउन और स्पोर्ट्स सिटी, समय पर पूरा नहीं हो सके। इससे खरीदारों और निवेशकों का भरोसा टूटा और कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।

प्रबंधन की कमियां

सीमेंट और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने जेपी एसोसिएट्स को पीछे धकेल दिया। अन्य बड़े खिलाड़ियों, जैसे अडानी और अल्ट्राटेक, ने बाजार पर कब्जा कर लिया। साथ ही, कंपनी के प्रबंधन की गलत रणनीतियों और वित्तीय कुप्रबंधन ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

जेपी के शेयरों में लगातार गिरावट जारी

जेपी एसोसिएट्स के शेयर की कीमत में भारी गिरावट देखी गई है। पिछले छह महीनों में इसके शेयर 50% से अधिक टूट चुके हैं और वर्तमान में यह 3.07 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन अब केवल 750 करोड़ रुपये के आसपास रह गया है, जो इसके एक समय के गौरवशाली अतीत की तुलना में नगण्य है।

अडानी के साथ अन्य समूह भी दौड़ में

अधिग्रहण की स्थिति और भविष्यअडानी ग्रुप के अलावा, डालमिया भारत और वेदांता जैसे अन्य बड़े समूह भी जेपी एसोसिएट्स की परिसंपत्तियों के लिए बोली लगा रहे हैं। हालांकि, अडानी की 12,500 करोड़ रुपये की बोली और उनकी वित्तीय ताकत उन्हें इस दौड़ में सबसे आगे रखती है। यह अधिग्रहण न केवल अडानी ग्रुप के लिए एक रणनीतिक कदम है, बल्कि जेपी के अधूरे प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले खरीदारों और कंपनी के कर्मचारियों के लिए भी राहत की उम्मीद लेकर आया है।निष्कर्ष

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