AC Temperature Standardization: 2025 के बाद लागू होगा AC टेम्प्रेचर वाला नियम

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने इंडिया क्लाइमेट समिट (India Climate Summit) में घोषणा की है कि एयर कंडीशनर (AC) का टेम्परेचर 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच सेट करने का प्रस्तावित नियम अभी लागू नहीं होगा। यह नियम अब 2050 के बाद ही लागू हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव धीरे-धीरे और समय के साथ किया जाएगा, ताकि लोगों को ऊर्जा दक्षता के साथ तालमेल बिठाने का मौका मिले।

क्या था प्रस्तावित नियम?

इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने घोषणा की थी कि सरकार जल्द ही एयर कंडीशनर के लिए टेम्परेचर रेंज को 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच मानकीकृत (Temperature Standardization) करने की योजना बना रही है। इसका मकसद गर्मियों में बिजली की खपत को कम करना था, क्योंकि कई लोग अपने एसी को 16-18 डिग्री पर सेट करते हैं, जिससे पावर ग्रिड (Power Grid) पर दबाव बढ़ता है। खट्टर ने कहा था कि यह नियम घरों, होटलों और कारों में इस्तेमाल होने वाले सभी एसी पर लागू होगा।

क्यों लिया गया स्थगन का फैसला?

भूपेंद्र यादव ने इंडिया क्लाइमेट समिट में कहा कि यह नियम तुरंत लागू नहीं होगा, क्योंकि इसके लिए क्षमता निर्माण की जरूरत है। उन्होंने भारत के जलवायु लक्ष्यों को राष्ट्रीय परिस्थितियों और कॉमन बट डिफरेंशियेटेड रिस्पॉन्सिबिलिटीज (CBDR-RC) सिद्धांत के अनुरूप लागू करने की बात कही। इस सिद्धांत के तहत, विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के लिए अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी, क्योंकि उनके पास ऐतिहासिक उत्सर्जन और संसाधन अधिक हैं। यादव ने जोर दिया कि भारत का राष्ट्रीय जलवायु योजना (Nationally Determined Contributions – NDCs) लोगों को ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी की सलाह

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) के अनुसार, भारत में ज्यादातर एसी 20-21 डिग्री सेल्सियस पर सेट किए जाते हैं, जबकि आदर्श आरामदायक रेंज 24-25 डिग्री सेल्सियस है। बीईई सुझाव देता है कि एसी को 24-25 डिग्री पर सेट करने से आराम और ऊर्जा दक्षता में संतुलन बना रहता है। हर 1 डिग्री टेम्परेचर बढ़ाने से लगभग 6% बिजली की बचत हो सकती है। अगर टेम्परेचर 20 से बढ़ाकर 24 डिग्री किया जाए, तो 24% तक ऊर्जा की बचत संभव है।

उद्योग और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया

एसी निर्माता कंपनियां जैसे वोल्टास, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, और ब्लू स्टार (Voltas, LG Electronics, Blue Star) ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया था, क्योंकि यह ऊर्जा बचत और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देगा। हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश के रूप में देखा। एक एक्स यूजर ने लिखा, “यह सरकार का बेडरूम में दखल है ।” वहीं, कुछ ने इसे जलवायु जिम्मेदारी की दिशा में सकारात्मक कदम बताया।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

दुनियाभर में कई देशों ने एसी टेम्परेचर को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए हैं। स्पेन में सार्वजनिक स्थानों पर कूलिंग 27 डिग्री से नीचे नहीं हो सकती, जबकि जापान में 28 डिग्री की सलाह दी जाती है। सिंगापुर का ‘गो 25’ अभियान (Go 25 Campaign) और अमेरिका का एनर्जी स्टार प्रोग्राम (Energy Star Program) भी 25-26 डिग्री की सिफारिश करते हैं। भारत का प्रस्तावित 20-28 डिग्री रेंज अन्य देशों की तुलना में अधिक लचीलापन प्रदान करता है।

यादव ने कहा कि यह नियम तुरंत लागू नहीं होगा, और इसे 2050 के बाद लागू करने की योजना है। तब तक सरकार ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियानऔर तकनीकी उन्नति पर ध्यान देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की बढ़ती बिजली मांग को नियंत्रित करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगा। साथ ही, उपभोक्ताओं के बिजली बिल में भी कमी आएगी।

यह कदम भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और ऊर्जा संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, बशर्ते इसे सही तरीके से लागू किया जाए।

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