Indian Railway News: आज आपको ऐसी समस्या के बारे में बतायेंगे जो हर यात्री फेस कर रहा है. जी हाँ ट्रेनों के एसी कोच में सुविधा देने का दावा कर रेलवे यात्रियों से महंगा किराया वसूलता है, लेकिन हकीकत में कुछ और ही है. लोग अब एसी कोच में सफर कर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. क्योंकि रेलवे जो सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात करता है, वह यात्रियों को मिल ही नहीं रहीं हैं.
कम हैं अटेंडेंट
इंडियन रेलवे द्वारा हर एसी कोच में अटेंडेंट (एक कर्मचारी) की नियुक्ति की जाती है, ताकि यात्रा के दौरान साफ-सफाई, चादर-बिस्तर, पानी और अन्य सेवाएं समय पर उपलब्ध हो सकें. लेकिन हाल ही में सामने आए फैक्ट बताते हैं कि ये दावे फुस्स नजर आ रहे हैं. पीयूष ट्रेडर्स ठाणे द्वारा अनुबंधित कई प्रमुख ट्रेनों में यात्रियों को सुविधा की जगह असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
ठेकेदार कर रहे मनमानी
गौरतलब है कि इन सब में ठेकेदार द्वारा लागत बचाने के चक्कर में कई ट्रेनों में निर्धारित संख्या से आधे ही अटेंडेंट तैनात किए जा रहे हैं. इसका सीधा असर यात्रियों की सुविधा पर पड़ रहा है. कई कोचों में यात्रियों को अटेंडेंट की सेवाएं ही नहीं मिल पा रही हैं. शिकायतें बढ़ती जा रही हैं, Indian Railway News लेकिन अब तक इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
बिना ड्रेस के ड्यूटी पर अटेंडेंट
एक बड़ी समस्या यह भी सामने आई है कि कई अटेंडेंट ड्यूटी के दौरान यूनिफार्म में नहीं होते हैं. इससे यात्रियों को यह पहचानने में कठिनाई होती है कि कौन अटेंडेंट है और कौन सामान्य यात्री. यात्रियों के अनुसार वे शिकायत करना चाहें या कोई सेवा मांगें, तो पहचान न होने से असमंजस की स्थिति बन जाती है.
यात्रियों ने बताया खुद ढूँढना पड़ रहा कंबल चादर
यात्रियों ने बताया कि कई बार जरूरत पड़ने पर अटेंडेंट दिखाई ही नहीं देते. बिस्तर लेने या साफ-सफाई की शिकायत करने में उन्हें परेशानी होती है. बिना यूनिफार्म वाले अटेंडेंट से बात करना भी असहज अनुभव होता है, क्योंकि उन्हें कर्मचारी समझना कठिन होता है. इस स्थिति को देखते हुए रेलवे प्रशासन और संबंधित ठेकेदारों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. यात्रियों की सुविधा से समझौता करना उचित नहीं है, जिसे जल्द सुधार किया जाना चाहिए. और यही कारण है की यात्री अपने लिए खुद तकिया चादर कंबल ढूंढते नजर आते हैं.
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