JNU Student Union Election 2025 : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयू) (JNU Student Union Election 2025) के रविवार को हुए चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने विभिन्न स्कूलों और विशेष केंद्रों में 44 काउंसलर सीटों में से 24 पर भारी जीत दर्ज की। मीडिया से बात करते हुए एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा, “यह पहली बार है कि किसी एक छात्र संगठन ने काउंसलर के आधे से अधिक पदों पर जीत हासिल की है। ऐसा करने वाला एबीवीपी पहला संगठन बन गया है। अब केंद्रीय पैनल द्वारा लिए गए हर फैसले पर एबीवीपी की मंजूरी की आवश्यकता होगी, क्योंकि काउंसलर किसी भी प्रस्ताव पर वोट करते हैं।
एबीवीपी अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने क्या कहा? JNU Student Union Election 2025
एबीवीपी नेताओं ने स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज और अमलगमेटेड सेंटर समेत कई केंद्रों में ‘क्लीन स्वीप’ का दावा किया। आपको बता दें कि 2024-25 के लिए जेएनयूएसयू चुनाव (JNU Student Union Election 2025) के लिए शुक्रवार को मतदान हुआ था। इस दौरान 70 फीसदी वोटिंग हुई। एबीवीपी जेएनयू इकाई के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा, “यह जीत सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है, जिसे जेएनयू के छात्रों ने एबीवीपी के माध्यम से चुना है। यह राष्ट्रवाद, अकादमिक उत्कृष्टता और छात्र कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का परिणाम है। हम परिसर को राष्ट्र निर्माण और अकादमिक जीवंतता का केंद्र बनाने के लिए पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसा करते रहेंगे
विद्यार्थी परिषद ने वामपंथ के गढ़ को तोड़ा | JNU Student Union Election 2025
विद्यार्थी परिषद के अनुसार, इस चुनाव में उन्हें दो ऐतिहासिक सफलताएं मिली हैं। पहली सफलता स्कूल ऑफ सोशल साइंस में मिली है। जेएनयू में इसे वामपंथ का गढ़ माना जाता रहा है, यहां ‘एबीवीपी’ ने 25 साल बाद दो सीटें जीतकर ऐतिहासिक बदलाव का संकेत दिया है(JNU Student Union Election 2025) । इसी तरह, दूसरी सफलता स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में मिली है। यह केंद्र भी लंबे समय से वामपंथी प्रभाव का प्रमुख केंद्र रहा है। हालांकि, इस बार के छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी ने यहां भी दो सीटें जीतकर एक नई राजनीतिक धारा स्थापित की है।
विभिन्न स्कूलों और केंद्रों में एबीवीपी का प्रदर्शन। JNU Student Union Election 2025
- स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज: 5 में से 2 सीटें जीती
- स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज: 5 में से 2 सीटें जीती
- स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी: 2 में से 1 सीटें जीती
- स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन: 1 में से 1 सीट जीती
- स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंस: 2 में से 1 सीट जीती
- स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस: 3 में से 2 सीटें जीती
- स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग: 4 में से 4 सीटें जीती (सभी सीटें भरी हुई)
- स्पेशल सेंटर फॉर नैनोसाइंस: 1 में से 1 सीट जीती
- स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज: 3 में से 3 सीटें जीती (पूर्ण बहुमत)
- एमल्गमेटेड सेंटर: 2 में से 2 सीटें जीती
- स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंस: 2 में से 1 सीट जीती
- अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड उद्यमिता: 1 में से 1 सीट जीती
- स्कूल ऑफ फिजिकल साइंस: 3 में से 2 सीटें जीती
एबीवीपी ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की।
जेएनयू में वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले स्कूल ऑफ सोशल साइंस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 25 साल बाद दो सीटें जीतकर ऐतिहासिक बदलाव का संकेत दिया है। इसी तरह लंबे समय से वामपंथी प्रभाव का प्रमुख केंद्र रहे स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में भी (JNU Student Union Election 2025) एबीवीपी ने दो सीटें जीतकर नई राजनीतिक धारा स्थापित की है।
एबीवीपी ने विभिन्न स्कूलों में काउंसलर पदों पर निर्विरोध जीत हासिल की।
चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाई थी। परिषद के प्रत्याशियों ने विभिन्न स्कूलों के काउंसलर पदों पर निर्विरोध जीत हासिल की है। स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की एकमात्र सीट पर सुरेंद्र बिश्रोई, स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज की तीनों सीटों पर प्रवीण पीयूष, राजा बाबू और प्राची जायसवाल तथा स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन की एक सीट पर गोवर्धन सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
जेएनयू में इस बार बदलाव की लहर | JNU Student Union Election 2025
एबीवीपी जेएनयू इकाई के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा, भारत विकास परिषद (भाविप) (JNU Student Union Election 2025) ने जेएनयूएसयू काउंसिल की 42 में से 23 सीटें जीतकर और काउंसिल में पचास प्रतिशत से अधिक उपस्थिति पर कब्जा करके इतिहास रच दिया है। जिससे अब एबीवीपी को जेएनयूएसयू द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों में महत्वपूर्ण स्थान मिल सकेगा। जो लेफ्ट के गढ़ में बड़ी सेंध लगाने का काम करेगा। यह जीत एबीवीपी के रूप में उस सकारात्मक बदलाव की जीत है। जिसे जेएनयू के छात्रों ने चुना है।