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‘आशिक़ी’ 90 के दशक की, एक ऐसी प्रेम कहानी, जिसने दिलों को गुनगुनाना सिखाया

‘Aashiqui’ A Simple Love Story Of The 90s: 1990 में जब महेश भट्ट की आशिक़ी सिनेमाघरों में आई, किसी को नहीं पता था कि यह एक साधारण सि फिल्म फिल्म हिंदी सिनेमा के रोमांटिक इतिहास में एक मील का पत्थर बन जाएगी। यह एक ऐसी कहानी थी, जिसने प्यार को उसकी सबसे मासूम, सबसे सच्ची और सबसे गूंजती हुई शक्ल में पेश किया। यह फिल्म सिर्फ़ प्रेम की शुरुआत की कहानी नहीं थी, बल्कि एक ऐसी धुन थी जो हर दिल की धड़कन बन गई।

प्यार और संघर्ष की कहानी है आशिकी

आशिक़ी की कहानी राहुल (राहुल रॉय) और अनु (अनू अग्रवाल) के इर्द-गिर्द घूमती है। राहुल एक गुमनाम युवक, जिसके पास बड़े सपने और एक सच्चा दिल है। अनु एक अनाथ आश्रम में रहने वाली एक साधारण-सी लड़की, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जूझ रही है। उन दोनों की मुलाक़ात एक बस स्टॉप पर होती है, और यहीं से शुरू होती है एक ऐसी प्रेम कहानी, जो बेमौसम बारिश की तरह आती है और दिल के हर कोने को भीगो देती है। राहुल, अनु की मासूमियत और उसकी आवाज़ पर मर मिटता है। लेकिन प्यार का यह सफ़र आसान नहीं। इसमें संघर्ष है, दूरी है, और कई इम्तिहान हैं। फिर भी, राहुल और अनु का भरोसा कभी नहीं डगमगाता। यह कहानी उस दौर की थी, जब प्यार में दिखावा नहीं, बल्कि सच्चाई और जज़्बात बोलते थे।

एक ‘फीलिंग’ जो हर दिल में बसी

आशिक़ी कोई महान प्रेम-कहानी नहीं थी। इसमें न महल थे, न राजा-रानी। यह थी आम ज़िंदगी की मोहब्बत, जिसमें बस एक कोना चाहिए होता है, किसी के दिल में बसने के लिए। राहुल की आँखों में सच्चाई, अनु की मुस्कान में अपनापन, और दर्शकों के दिल में एक उम्मीद थी कि सच्चा प्यार कभी हारता नहीं। फिल्म की सादगी ही इसकी ताकत थी। उस दौर में, जब बॉलीवुड में ग्लैमर और बड़े-बड़े सेट्स का बोलबाला था, आशिक़ी ने साबित किया कि फिल्म एक साधारण अच्छी सि प्रेम कहानी से भी सुपरहिट हो सकती है।

राहुल रॉय और अनु अग्रवाल की सादगी से भरा शानदार अभिनय

राहुल रॉय ने अपने डेब्यू में ही अपनी सादगी और खामोशी से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी आँखें और चुप्पी भी उतनी ही बोलती थी, जितना उनका डायलॉग। अनु अग्रवाल ने अपनी मासूमियत और रहस्यमयी अंदाज़ से किरदार को जीवंत कर दिया। दीपक तिजोरी की दोस्ती ने कहानी को और भी खूबसूरत बनाया। आशिक़ी उस दौर की उन गिनी-चुनी फिल्मों में से थी, जिन्होंने सादगी को अपनी ताकत बनाया। न कोई भव्य सेट्स, न कोई चमक-दमक, बस दो आशिक़ों की कहानी, जो एक छोटी-सी छतरी के नीचे प्यार की शुरुआत करती है। हर फ्रेम से सच्चाई और इश्क़ छलकता था।

आशिक़ी का सुपरहिट संगीत, जिसने लोगों को दीवाना कर दिया

आशिक़ी का असली जादू था इसका संगीत। नदीम-श्रवण की जोड़ी ने समीर के बोलों के साथ ऐसा एल्बम बनाया, जो न सिर्फ़ उस दौर को परिभाषित करता है, बल्कि आज भी हर प्रेमी के दिल की धड़कन है। कुमार सानु और अनुराधा पौड़वाल की आवाज़ ने इन गीतों को अमर कर दिया। इस फिल्म के कुछ आइकॉनिक गाने जो आज भी युवाओं के दिल-ओ-दिमाग में गूंजते रहते हैं।

फिल्म के गाने के करोड़ों कैसेट्स बिके

“सांसों की ज़रूरत है जैसे ज़िंदगी के लिए…”, “नज़र के सामने, जिगर के पास…”, “अब तेरे बिन जी लेंगे हम…”, “धीरे धीरे से मेरी ज़िंदगी में आना…”ये गाने सिर्फ़ गीत नहीं, बल्कि इश्क़ का साउंडट्रैक बन गए। फैक्ट: आशिक़ी का म्यूज़िक एल्बम भारत में अब तक का सबसे ज़्यादा बिकने वाला बॉलीवुड एल्बम है, जिसकी 20 मिलियन से ज़्यादा यूनिट्स बिकीं।

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