MP Police Constable Recruitment Scam 2023: प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि कई उम्मीदवारों ने स्वयं परीक्षा नहीं दी। उनकी जगह सॉल्वरों ने परीक्षा में हिस्सा लिया। इसके लिए आधार कार्ड में फिंगरप्रिंट तक बदले गए। यानी, फॉर्म किसी और ने भरा और परीक्षा किसी और ने दी। अब तक ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, और अलीराजपुर सहित 5-6 जिलों में 19 FIR दर्ज हो चुकी हैं।
मध्य प्रदेश में 2023 की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस बार मामला केवल सॉल्वर गैंग या पेपर लीक तक सीमित नहीं है, बल्कि आधार डेटा और बायोमेट्रिक हेरफेर जैसे गंभीर अपराधों से जुड़ा है। जांच एजेंसियां सच्चाई तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हैं, लेकिन UIDAI की सख्त गोपनीयता नीति उनके लिए सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।
सॉल्वर गैंग और बायोमेट्रिक हेरफेर का खेल
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि कई उम्मीदवारों ने स्वयं परीक्षा नहीं दी। उनकी जगह सॉल्वरों ने परीक्षा में हिस्सा लिया। इसके लिए आधार कार्ड में फिंगरप्रिंट तक बदले गए। यानी, फॉर्म किसी और ने भरा और परीक्षा किसी और ने दी। हालांकि, UIDAI के बायोमेट्रिक डेटा तक पहुंच के बिना इस धोखाधड़ी को साबित करना मुश्किल हो रहा है। UIDAI के नियमों के अनुसार, कोर्ट की अनुमति के बिना किसी का डेटा साझा नहीं किया जा सकता।
UIDAI का सहयोग जरूरी
कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) ने कुछ उम्मीदवारों के दस्तावेजों में विसंगतियां पकड़ने के बाद पुलिस को जांच के आदेश दिए। पूछताछ में कई अभ्यर्थियों ने धोखाधड़ी की बात कबूल की, लेकिन पूरे घोटाले का खुलासा करने के लिए UIDAI का सहयोग अनिवार्य है। बिना बायोमेट्रिक डेटा और मिलान की अनुमति के यह तय करना चुनौतीपूर्ण है कि कितने उम्मीदवारों ने फर्जीवाड़ा किया।
जांच एजेंसियों को अभी तक सभी अभ्यर्थियों का डेटा या UIDAI से बायोमेट्रिक मिलान की अनुमति नहीं मिली है। कोर्ट से मंजूरी लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल है, जिसके चलते जांच अधर में लटकी हुई है। पर्याप्त सबूतों के अभाव में सभी अभ्यर्थियों का डेटा मांगना और भी कठिन हो रहा है।
फेस रिकग्निशन तकनीक की योजना
इस घोटाले के बाद कर्मचारी चयन बोर्ड भविष्य की परीक्षाओं में फिंगरप्रिंट के साथ-साथ फेस रिकग्निशन तकनीक लागू करने पर विचार कर रहा है। इसका उद्देश्य फर्जी उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने से रोकना और प्रत्येक अभ्यर्थी की पहचान सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस तकनीक की उच्च लागत के कारण परीक्षार्थियों को अधिक शुल्क देना पड़ सकता है।
19 FIR दर्ज, जांच का दायरा बढ़ा
अब तक ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, और अलीराजपुर सहित 5-6 जिलों में 19 FIR दर्ज हो चुकी हैं। जांच एजेंसियां कोर्ट से अनुमति प्राप्त करने की कोशिश में हैं ताकि UIDAI से आवश्यक डेटा हासिल किया जा सके। अगर डेटा मिलता है, तो इस घोटाले की पूरी परतें खुल सकती हैं। आशंका है कि इसमें अन्य राज्यों के गिरोह भी शामिल हो सकते हैं।