भारत के हर क्षेत्र की अपनी अनूठी पाक विरासत होती है और मध्य भारत का विंध्य क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है बल्कि स्थानीय पारंपरिक व्यंजन के लिए बेहद खास है। यहां की पारंपरिक व्यंजन शैली में एक ख़ास स्थान रखती है ,दरभरी पूड़ी। यह सिर्फ़ एक डिश नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पहचान है जिसे आमतौर पर त्योहारों, पारंपरिक भोज या विशेष अवसरों पर परोसा जाता है। दरभरी पूड़ी खास तौर पर उबले हुए चने की दाल, मसालेदार पेस्ट और सादे आटे से बनाई जाती है। इसे आमतौर पर अमावट के रस, आमरस या लप्सी जैसे पारंपरिक मीठे व्यंजनों के साथ परोसा जाता है। आइए जानते हैं कैसे बनाएं विंध्य क्षेत्र की स्पेशल पारंपरिक डिश दरभरी पूड़ी।
दरभरी पूड़ी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री –
(भरावन के लिए)
- चने की दाल – 1 कप (रातभर भिगोकर उबाल लें)
- अदरक – 1 इंच टुकड़ा
- लहसुन – 5-6 कलियां
- हरी मिर्च – 2-3
- प्याज़ – 1 मध्यम (कटा हुआ)
- साबुत मसाले – जीरा, धनिया, सौंफ, काली मिर्च, लौंग (स्वादानुसार)
- नमक – स्वादानुसार
- थोड़ा सा तेल तलने के लिए
दरभरी पूड़ी का आटा बनाने के लिए
- गेहूं का आटा – 2 कप
- थोड़ा नमक और पानी – आटा गूंथने के लिए
दरभरी पूड़ी बनाने की विधि
स्टेप 1 – दाल और मसाले का डो तैयार करना
भिगोई और उबली हुई चने की दाल को हल्का ठंडा कर लें। अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, प्याज़ और सारे साबुत मसालों को साथ में पीसकर एक मसालेदार पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को उबाल कर पीसी हुई दाल के साथ मिक्स करें और हल्का सा भून लें ताकि मिश्रण सूखा और भरावन योग्य बन जाए।
स्टेप 2 – आटा गूंथना और पूड़ियां तैयार करना
गेहूं के आटे में थोड़ा नमक मिलाकर नरम आटा गूंथ लें।
छोटी-छोटी लोइयां बनाकर बेल लें, और हर रोटी में बीच में थोड़ा दाल वाला डो भरें। इसे सावधानीपूर्वक बेलें ताकि पूड़ी पतली हो लेकिन फटे नहीं।
स्टेप 3 – दरभरी पूड़ी सेंकना
तवा गर्म करें और पूड़ी को परांठे की तरह दोनों ओर से धीमी आंच पर सेंक लें, और हल्का सा घी या तेल में परांठे की तरह सेंकें।
ऐसे परोसें विंध्य क्षेत्र की स्पेशल दरभरी पूड़ी
दरभरी पूड़ी को पारंपरिक रूप से अमावट का रस, घर का बना आमरस, या गुड़ और दलिया से बनी लप्सी के साथ परोसा जाता है। यह संयोजन मिठास और मसालेदार स्वाद का ऐसा संतुलन रचता है, जो हर उम्र के लोगों को पसंद आता है।
विशेष – दरभरी पूड़ी सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि विंध्य क्षेत्र की लोकजीवन, स्वाद और परंपरा की झलक है। इसकी खुशबू, स्वाद और बनावट आपके रसोई के अनुभव को और भी समृद्ध बनाएगी।