Bihar Assembly Election 2025: बिहार की एक ऐसी सीट जहां AIMIM और BJP में रहेगी कड़ी टक्कर

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार के राजनीतिक क्षेत्र में इन दिनों काफ़ी हलचल है। 2025 के विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। इसे देखते हुए हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी चालें चल रहा है। एक ओर, नीतीश कुमार की मौजूदा सरकार ने जनता को लुभाने के लिए कई आकर्षक योजनाओं की घोषणा की है, वहीं आम आदमी पार्टी (आप) और जन सुराज जैसी नई पार्टियाँ भी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने के लिए कमर कस चुकी हैं।

किशनगंज सीमांचल की एक प्रमुख सीट है।

वहीं, बिहार की किशनगंज विधानसभा सीट पर भी चुनावी सरगर्मी काफ़ी तेज़ है। किशनगंज विधानसभा सीट बिहार के सीमांचल क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण सीट है। यह मुस्लिम बहुल आबादी वाला इलाका है। परंपरागत रूप से यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अन्य पार्टियों, खासकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी यहाँ अपनी पैठ बना ली है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

पिछले चुनाव के नतीजे क्या थे? Bihar Assembly Election 2025

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार इज़हारुल हुसैन जीते थे, जिन्हें 61,078 वोट मिले थे। इज़हारुल हुसैन ने भाजपा की स्वीटी सिंह को 1,381 वोटों के अंतर से हराया था। स्वीटी सिंह को 59,697 वोट मिले थे। वहीं, एआईएमआईएम के कमरुल होदा तीसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 41,904 वोट मिले थे।

पिछली बार चुनावी मैदान में 20 उम्मीदवार थे।

2020 का चुनाव इस सीट के लिए ऐतिहासिक रहा। मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और एआईएमआईएम के बीच त्रिकोणीय हो गया। इस चुनाव में कांग्रेस के इज़हारुल हुसैन ने जीत हासिल की।

इज़हारुल हुसैन- कांग्रेस – विजेता, स्वीटी सिंह- भाजपा, कमरुल होदा एआईएमआईएम इसके अलावा कई अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव लड़ा था। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के अनुसार, किशनगंज विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2,83,199 थी। इनमें से 1,77,573 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो कुल मतदाताओं का लगभग 62.7% था।

किशनगंज सीट का राजनीतिक समीकरण

किशनगंज विधानसभा सीट दशकों से कांग्रेस पार्टी का मज़बूत गढ़ रही है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में यहाँ के राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदले हैं, जिससे यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। आज़ादी के बाद से ही किशनगंज सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। 2000 के दशक में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस सीट पर अपना कब्ज़ा जमा लिया। 2000 के विधानसभा चुनाव में राजद के तस्लीमुद्दीन ने जीत हासिल की। राजद के अख्तरुल ईमान ने फरवरी और अक्टूबर 2005 के चुनावों में लगातार दो बार जीत हासिल करके इस सीट पर राजद की स्थिति मज़बूत की।

2010 में कांग्रेस ने शानदार वापसी की। Bihar Assembly Election 2025

2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी खोई ज़मीन वापस पा ली। कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने यह सीट जीती। हालाँकि, यह जीत बेहद मुश्किल थी, क्योंकि उन्होंने भाजपा की स्वीटी सिंह को मात्र 254 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। मोहम्मद जावेद ने 2015 के चुनावों में भी अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। उन्होंने फिर से भाजपा की स्वीटी सिंह को हराया, लेकिन इस बार जीत का अंतर थोड़ा ज़्यादा था।

2019 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ। Bihar Assembly Election 2025

2019 में मोहम्मद जावेद किशनगंज लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, जिसके बाद किशनगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सबको चौंका दिया। AIMIM उम्मीदवार कमरुल होदा ने यह सीट जीतकर बिहार की राजनीति में अपनी पहली विधानसभा जीत दर्ज की। इस जीत ने संकेत दिया कि मुस्लिम वोट अब कांग्रेस या राजद तक सीमित नहीं हैं।

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