Jayprakash Narayan Jayanti : लोकनायक और जननायक के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण की यह 122वीं जयंती है। उन्होंने कांग्रेस सरकार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति की शुरुआत की थी। उनके आंदोलन को जेपी आंदोलन के नाम से जाना जाता है। दशकों तक भारतीय राजनीति पर राज करने वाले मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और नीतीश कुमार इसी जेपी आंदोलन की देन हैं। आंदोलन के दौरान तीनों ही नेता छात्र नेता थे, लेकिन इस आंदोलन के बाद वे देश की राजनीति में बड़े नाम बन गए थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं जननायक जयप्रकाश नारायण की।
जेपी का जन्म बलिया जिले में हुआ था। Jayprakash Narayan Jayanti
जेपी का जन्म गंगा और घाघरा नदियों के बीच बसे एक गांव में हुआ था। इस जगह को द्वाबा कहा जाता है। वर्तमान में यह गांव उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बलिया जिले में पड़ता है। जेपी अपने माता-पिता की चौथी संतान थे और महज नौ साल की उम्र में घर छोड़ दिया था।
कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रभावित थे जेपी।
जेपी को बचपन से ही पढ़ाई में काफी रुचि थी। वे प्रताप जैसी पत्रिकाएं भी पढ़ते थे, जिसके जरिए देश के लोगों में आजादी की अलख जगाई जाती थी। 1920 में उनकी शादी हो गई, लेकिन उनकी पढ़ाई नहीं रुकी। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वे अमेरिका चले गए। यहां उन्होंने कार्ल मार्क्स के विचारों को समझा और उनसे काफी प्रभावित भी हुए। 1929 में वे देश वापस लौटे और देश की आजादी में हिस्सा लिया। जब महात्मा गांधी जैसे बड़े नेता जेल गए तो जेपी ने कमान संभाली, लेकिन उन्हें भी जेल में डाल दिया गया। हालांकि, सबकी मेहनत रंग लाई और देश आजाद हुआ।
आजादी के बाद जेपी ने कांग्रेस के खिलाफ खोला मोर्चा ।
देश की आजादी के दो दशक बाद जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। उन्होंने संपूर्ण क्रांति की शुरुआत की। इसमें सात क्रांतियां शामिल हैं- राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक क्रांति। इस क्रांति से कई बड़े नेता उभरे। इनमें लालू, नीतीश और मुलायम सबसे सफल रहे। सुशील मोदी शरद यादव भी इसी आंदोलन से बड़े नेता बने। इसी आंदोलन की वजह से इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। हालांकि, अंत में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।
जाति प्रथा का 10 लाख से ज्यादा लोगों ने विरोध किया। Jayprakash Narayan Jayanti
जेपी की संपूर्ण क्रांति में शामिल सामाजिक क्रांति के जरिए उन्होंने समाज से जातिवाद को खत्म करने का काम किया। उनके आग्रह पर 10 लाख लोगों ने अपने जनेऊ तोड़ दिए और तय किया कि वे जाति व्यवस्था को नहीं मानेंगे। इस आंदोलन का असर आज भी दिखता है। अटल बिहारी वाजपेयी ने जेपी के लिए एक कविता भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी से माफी मांगी थी क्योंकि वे उनसे किया वादा पूरा नहीं कर पाए और मंजिल अधूरी रह गई। इसके साथ ही उन्होंने जेपी को भरोसा दिलाया था कि टूटे सपनों को जोड़ा जाएगा और अंधेरा दूर किया जाएगा।