A Part Of Pankaj Dheer biography : भारतीय टेलीविज़न इतिहास के सबसे लोकप्रिय किरदारों में से एक ‘महाभारत’ के कर्ण के रूप में प्रसिद्ध पंकज धीर का नाम आज भी दर्शकों के दिल में बसता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पंकज धीर का परिवार एक समय भयानक आर्थिक संकट से गुज़रा था और इसकी वजह बनी थी एक अधूरी रह गई फिल्म ‘रानो’। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में पंकज धीर ने बताया कि उनके पिता सी.एल. धीर ने एक्ट्रेस गीता बाली के साथ एक वादा निभाने की कोशिश में अपना सबकुछ गंवा दिया था।
गीता के बिना अधूरी रह गई ‘रानो’
पंकज धीर ने ‘लहरें रेट्रो’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता सी.एल. धीर ने लंबे समय तक मशहूर निर्देशक वी. शांताराम के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम किया था। बाद में उन्होंने अपने दम पर कई फिल्में निर्देशित कीं जिनमें ‘बहू बेटी’ (1965), ‘रैन बसेरा’, ‘आखिरी रात’ और ‘जिंदगी’ जैसी फिल्में शामिल थीं।
इन्हीं में से एक थी ‘रानो’, जो पंजाबी पृष्ठभूमि पर आधारित एक भावनात्मक कहानी थी। इस फिल्म के को-प्रोड्यूसर थे सी.एल. धीर और गीता बाली। दोनों ने फिल्म में बराबर की रकम लगाई थी और निर्देशन की जिम्मेदारी भी पंकज धीर के पिता ने ही संभाली थी।

गीता बाली की असमय मृत्यु और टूटता सपना
फिल्म लगभग पूरी हो चुकी थी सिर्फ 3 दिन का शूटिंग कार्य बाकी था। पंकज धीर के अनुसार “लगभग 6-7 दिन का काम बाकी था। गीता जी ने कहा कि बाकी काम पहले कर लो, उनके हिस्से के सीन आखिर में कर लेंगे। लेकिन उसी दौरान वो पंजाब में चेचक की चपेट में आ गईं… और उनकी मृत्यु हो गई। ”गीता बाली के निधन के बाद फिल्म अधूरी रह गई और ‘रानो’ कभी रिलीज नहीं हो पाई। परिवार ने फिल्म में जो कुछ लगाया था वह सब डूब गया। पंकज धीर बताते हैं, “पिता ने गीता बाली से किया वादा निभाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन हालात ऐसे बने कि सबकुछ खत्म हो गया। दिलीप कुमार जैसे दिग्गज भी चाहते थे कि किसी तरह फिल्म पूरी हो, लेकिन वह संभव नहीं हो सका।”
कठिन दौर के बाद पंकज धीर का संघर्ष और सफलता
पिता के इस झटके के बाद पंकज धीर के परिवार ने कई सालों तक आर्थिक संघर्ष झेला। लेकिन पंकज ने हार नहीं मानी। उन्होंने फिल्मों में छोटे रोल से शुरुआत की और फिर टीवी पर अपनी मजबूत पहचान बनाई। उनकी लोकप्रियता चरम पर पहुँची बी.आर. चोपड़ा की ‘महाभारत’ (1988) में कर्ण के किरदार से। इसके अलावा उन्होंने ‘सौगंध’ (1991), ‘सन ऑफ सरदार’ (2012), ‘रेड’ (2018) जैसी फिल्मों और टीवी सीरियल्स ‘युग’, ‘बैताल पचीसी’, ‘कर्मफलदाता शनि’ में भी दमदार भूमिकाएँ निभाईं। आज उनके बेटे निकितन धीर भी बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता हैं, जिन्होंने ‘चेन्नई एक्सप्रेस’, ‘शेरशाह’ जैसी फिल्मों में काम करके अपनी एक सशक्त पहचान बनाई है ।

पंकज धीर की जीवनी एक नज़र में
- पूरा नाम: पंकज धीर
- जन्म: 9 नवंबर 1959, मुंबई (महाराष्ट्र)
- पिता: सी.एल. धीर (फिल्म निर्देशक एवं निर्माता)
- प्रमुख कार्य: ‘महाभारत’, ‘युग’, ‘बैताल पचीसी’, ‘कर्मफलदाता शनि’, ‘सन ऑफ सरदार’, ‘रेड’
- फ़िल्में – चेन्नई एक्सप्रेस,शेरशाह
- पुत्र: निकितिन धीर (अभिनेता)
- वैवाहिक जीवन: अभिनेत्री नीलम सिंह से विवाह

निष्कर्ष – ‘रानो’ फिल्म की अधूरी कहानी केवल एक फिल्म का नुकसान नहीं थी , वह एक परिवार की भावनाओं और सपनों का भी अंत थी। पंकज धीर के पिता सी.एल. धीर ने एक वादा निभाने की कोशिश में जो त्याग किया, वह फिल्मी दुनिया की एक दर्दनाक सच्चाई बन गया। लेकिन उसी संघर्ष की नींव पर खड़े होकर पंकज धीर ने खुद को उस मुकाम तक पहुँचाया, जहाँ आज उनका नाम भारतीय टेलीविज़न इतिहास में अमर है।
