SUPREME COURT: EVM को लेकर चुनाव आयोग को दिया बड़ा निर्देश, डाटा संबंधी जानकारी होंगी और पुख्ता!

चुनाव आयोग को अब ईवीएम की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर को डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) को देनी होगी

NEW DELHI: सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के सत्यापन के लिए एक नीति की मांग करने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुनवाई की। एडीआर ने याचिका में कहा कि ईवीएम के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से मेल नहीं खाती है।

चुनाव आयोग को निर्देश दिया गया

सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने तक ईवीएम में कोई भी डेटा दोबारा लोड या डिलीट न किया जाए। सीजेआई ने कहा, ‘यह कोई विरोध की स्थिति नहीं है। हारने वाले प्रत्याशी को यदि कोई स्पष्टीकरण चाहिए तो इंजीनियर स्पष्ट कर सकते हैं कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।

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प्रक्रिया की जानकारी SUPREME COURT को देनी होगी

सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि सत्यापन की लागत 40 हजार रुपये बहुत ज्यादा है। कोर्ट ने इस लागत को कम करने का भी आदेश दिया। चुनाव आयोग को अब ईवीएम की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर को डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) को देनी होगी। अगली सुनवाई 3 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

SUPREME COURT के फैसले का दिया हवाला

सीजेआई खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील एडवोकेट मनिंदर सिंह से कहा कि अप्रैल 2024 में एडीआर बनाम चुनाव आयोग मामले में दिए गए फैसले का मतलब यह नहीं था कि ईवीएम से चुनाव डेटा हटा दिया जाए या दोबारा लोड किया जाए। उस फैसले का मकसद यह था कि चुनाव के बाद ईवीएम निर्माता कंपनी का एक इंजीनियर मशीन की जांच और सत्यापन कर सके।

याचिका पर सुनवाई से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने इसी मामले से जुड़ी हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल और 5 बार के विधायक लखन कुमार सिंगला की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। इन दोनों ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई ईवीएम के सत्यापन की मांग की थी। कोर्ट ने दोनों की पिछली याचिका भी खारिज कर दी थी और उन्हें नई याचिका दाखिल करने की इजाजत नहीं दी थी।

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