Trekkers die due to cold in Uttarkashi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ठंड की वजह से 5 ट्रैकर्स की मौत हो गई है। 4400 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद सहस्त्रताल ट्रैकिंग रूट पर 22 सदस्यों के दल गया हुआ था, जिसमें से 5 लोगों की मौत हो गई। वहीं दल के 13 सदस्यों को रेस्क्यू किया गया है। शेष फंसे हुए 4 ट्रैकर्स को बचाने की कोशिश जारी है। लेकिन खराब मौसम की वजह से बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही है।
ऐसे किया गया रेस्क्यू
जानकारी के मुताबिक 22 सदस्यों के दल में 18 ट्रैकर्स कर्नाटक, एक महाराष्ट्र और तीन लोकल गाइड हैं। मरने वाले पांचों लोगों के शव नटीन हेलीपेड लाए गए। जिन्हे सुरक्षित निकाला गया है उनमें से आठ को हेलिकॉप्टर से देहरादून के अस्पताल में ले जाया गया है। इसके अलावा तीन लोगों को नटिन भटवाड़ी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिनमें से 2 लोगों की हालत स्थिर है। उत्तरकाशी के एसपी अर्पण यदुवंशी के मुताबिक ट्रैकिंग एसोसिएशन ने ग्रुप के सहस्त्रताल में फंसने की जानकारी 4 जून की शाम को दी थी। इसके बाद से बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। रेस्क्यू में SDRF उत्तराखंड पुलिस, एयरफोर्स, वन विभाग, आपदा प्रबंधन की टीम और सिल्ला गांव के लोग शामिल हैं। इसके अलावा टिहरी जिले से भी पुलिस व वन अमला घटनास्थल के लिए भेजा गया है। जबकि एमआई-17 हेलीकॉप्टर सहित एक टीम को बैकअप में रखा गया है।
ट्रैकर्स की जानकारी
ठंड की वजह से जिन 5 ट्रैकर्स की मौत हुई है उनमें सिंधु वाकेलाम, आशा सुधाकर, सुजाता मुंगुरवाडी, विनायक मुंगुरवाडी और चित्रा प्रणीत शामिल हैं। वहीं जिन ट्रैकर्स को रेस्क्यू कर देहरादून भेजा गया है उनमे सौम्या कनाले, स्मृति डोलस, शीना लक्ष्मी, एस शिवा ज्योति, अनिल जमतीगे, अरुणाचल भट्ट, भारत बोम्मना गौडर, मधु किरण रेड्डी, जयप्रकाश बी एस शामिल हैं। जो ट्रैकर्स नटीन-भटवाड़ी में हैं उनमें एस सुधाकर, विनय एम के, विवेक श्रीधर हैं। सिल्ला गांव के रास्ते वापस लौट रहे ट्रैकर्स में नवीन ए और रितिका जिंदल हैं।
भटक गए रास्ता
जानकारी के मुताबिक एक 22 सदस्य ट्रैकिंग दल 29 मई को सहस्त्रताल ट्रैक पर गया था। यह दल मल्ला-सिल्ला से कुश कुल्याण बुग्याल होते हुए सहस्त्रताल की ट्रैकिंग के लिए रवाना हुआ था। इस दल को 7 जून तक वापस आना था। 2 जून को दल कोखली टॉप बेस कैंप पहुंचा। यहां से 3 जून को सभी सहस्त्रताल के लिए रवाना हुए। इसी बीच अचानक मौसम खराब हुआ और बर्फबारी के साथ घना कोहरा छा गया। जिससे दल रास्ता भटक गया।
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