Lok Sabha Chunav 2024 Result live: लोकसभा चुनाव 2024 खत्म हो चूका है. अब सरकार बनाने की कवायद शुरू है. इसी बीच इंडिया गठबंधन के लिए एक बुरी खबर आई है. आम आदमी पार्टी अब बिना गठबंधन के अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की. दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस से हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए हुआ था न कि विधानसभा चुनाव के लिए. हम अकेले लड़ेंगे।
बता दें कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी राजनीतिक पार्टियों को फुरसत नहीं मिलने वाली क्योंकि 3 महीने बाद से ही राज्यों में विधानसभा चुनाव शुरू हो जाएंगे। इसी साल सितंबर में जम्मू कश्मीर, तो अक्टूबर में हरियाणा और महाराष्ट्र जबकि दिसंबर में झारखंड विधानसभा चुनाव होने हैं, और दिल्ली में अगले साल फरवरी में असेम्ब्ली इलेक्शन होंगे। आम आदमी पार्टी ने अभी से यह क्लियर कर दिया है कि विधान सभा चुनाव में इंडि दल से कोई गठबंधन होने वाला नहीं है.
गोपाल राय के इस बयान के बाद से ही सियासी गलियारों में ये चर्चा होने लगी है कि क्या हर राज्य में दिल्ली जैसा ही कुछ होने वाला है? क्या विधानसभा चुनाव शुरू होते- होते INDIA गठबंधन पूरी तरह बिखर जाएगा? आइए राज्यवार समझते हैं कि राज्यों में इंडिया गठबंधन के कितने सिपाही हैं, और उनकी मजबूती उस राज्य में किस तरह से है.
सबसे पहले हम बात करते हैं झारखंड की, झारखंड की सियासत पिछले कुछ दिनों से उथलपुथल रही है. सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जमीन घोटाले में जेल जाने के बाद लगा की पार्टी बिखर जाएगी। चंपई सोरेन जैसे अनुभवी और सीनियर नेता को मुख्यमंत्री बनाना और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने जिस तरह से मोर्चा संभाला, उसके बाद पार्टी फिर से ज़िंदा हुई है. अब तो कल्पना सोरेन विधायक भी बन गई हैं. और रही बात कांग्रेस के साथ अलायंस की तो झारखण्ड में कांग्रेस और जेएमएम का गठबंधन बहुत पुराना है, इस प्रदेश में इंडिया गठबंधन के टूटने के कोई संकेत फिलहाल तो नजर नहीं आ रहें।
दूसरा राज्य है हरियाणा, हरियाणा में I.N.D.I.A गठबंधन की राह आसान दिखाई नहीं दे रही है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में हरियाणा के नेताओं की ट्रेनिंग के बाद अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, और ये एलान आज से नौ महीने पहले का है. हालांकि काफी कश्मकश के बाद लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस साथ आईं और समझौते के तहत एक सीट आप खाते में गई. अब जब गोपाल राय साफ कर चुके हैं कि हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए हुआ था न कि विधानसभा के लिए. ऎसे फ़िलहाल तो यही लगता है कि दोनों पार्टियां ऑक्टूबर में हो रहे विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के आमने सामने होंगी।
अब बात हमेशा राजनीति के केंद्र बिंदु में रहने वाले राज्य महाराष्ट्र की. बीते पांच साल में महाराष्ट्र की राजनीति ने लोगों को चौकाया है. अब जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो ये भी चौकाने वाले रहे हैं. फिलहाल सरकार बनाने की कवायद शुरू है. खैर NDA सरकार बनाएगा ये साफ हो चूका है. बात चल रही है चंद्र बाबू नायडू और नितीश कुमार की, यानी की NDA के टूटन कि, लेकिन राजनितिक आपाधापी में इंडिया गठबंधन की बात कम हो रही है. इस गठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी शिवसेना बालासाहेब गुट के उद्धव ठाकरे हो सकते हैं. खबरें भी आ रहीं हैं कि, उद्धव को NDA में शामिल कराने का खेल भी शुरू हो चूका है. बता दें कि उद्धव बीजेपी के पुराने सहयोगी भी रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव तक उद्धव इंडिया ब्लॉक में बने रहे बड़ा मुश्किल लगता है.
अंत में बात जम्मू कश्मीर कि यहां आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. सितम्बर माह में 90 सीटों वाले इस राज्य में चुनाव कराए जाएगें। इंडिया गठबंधन की बात करें तो मेहबूबा मुफ़्ती की पीडीपी और फ़ारूक़ अब्दुला की नेशनल कॉन्फ्रेंस यहां कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में पीडीपी ने इंडिया दल में शामिल होने के बावजूद अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया था. आखिरी बार जब जम्मू कश्मीर में चुनाव हुए थे तब बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन किया था जो बाद में टूट गया. लेकिन ऐसा नहीं है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेली पड़ जाएगी। कांग्रेस से अलग होने के बाद गुलाम नबी आज़ाद ने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी का गठन किया है जो काफी एक्टिव हैं. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी DPAP के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है लेकिन यहां भी एक पेंच फंसता है. गुलाम नबी आजाद कश्मीर में वापस 370 लागू करने की पैरवी जो करते हैं.
तो कुलमिलाकर इंडिया अलायंस आगामी विधानसभा चुनाव में कुछ राज्यों में अकेली भी पड़ सकती है और कुछ में एक-दो दलों के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद कर सकती है. दिल्ली और हरियाणा में कांग्रेस के सामने आम आदमी और बीजेपी का सामना करना पड़ेगा जबकि महाराष्ट्र में महा विकाश आघाडी दल को लेकर संशय बना हुआ है. यहां सब कुछ उद्धव ठाकरे पर निर्भर है.