Singrauli borewell accident: बताया गया कि शाम 4 बजे तीन साल की मासूम सौम्या साहू अपने पिता पिंटू साहू के साथ खेत गई थी. पिता काम में व्यस्त हो गए और बच्ची खेलते-खेलते बोरवेल के पास गई, तभी उसका पैर फिसल गया और उसके अंदर चली गई. इसके बाद परिजन ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस और जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जिला प्रशासन और SDRF की टीम ने शाम 6 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
सिंगरौली जिले के बरगवां थाना क्षेत्र के कसर गांव में सोमवार 29 जुलाई को 3 साल की मासूम 100 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गई। जिला प्रशासन और SDRF की टीम ने महज साढ़े चार घंटे में उसे बाहर निकाल लिया, लेकिन तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी. बताया गया कि 29 जुलाई को उसका तीसरा जन्मदिन था. लेकिन उस मासूम को क्या पता कि यह उसका आखिरी जन्मदिन हैं.
बताया गया कि शाम 4 बजे तीन साल की मासूम सौम्या साहू अपने पिता पिंटू साहू के साथ खेत गई थी. पिता काम में व्यस्त हो गए और बच्ची खेलते-खेलते बोरवेल के पास गई, तभी उसका पैर फिसल गया और उसके अंदर चली गई. इसके बाद परिजन ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस और जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जिला प्रशासन और SDRF की टीम ने शाम 6 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। तीन जेसीबी से खुदाई शुरू की गई. बच्ची जिस बोरवेल में गिरी थी इससे लगभग 10-15 फ़ीट दूर जेसीबी से खुदाई की जाने लगी. दो जेसीबी समानांतर खुदाई कर रही थीं. वहीं एक जेसीबी से बोरवेल और समानांतर खुदाई के बीच वाली जगह से मिट्टी हटा रही थी.
रात लगभग 10 बजे बचाव दल ने बच्ची को बाहर निकाल लिया। साढ़े चार घंटे तक बिना रुके चले इस ऑपरेशन के बाद प्रशासन की टीम ने बच्ची को तुरंत एंबुलेंस से बैढ़न के अस्पताल रवाना किया। रात 11:30 बजे बैढ़न सीएमएचओ डॉ. निखिल जैन ने सौम्या की मौत की पुष्टि की. डॉ. जैन ने बताया कि बच्ची के फेफड़े में पानी भर गया था. बोरवेल में बारिश का पानी भर गया था.
घटना की सूचना मिलते ही एसपी निवेदिता गुप्ता और कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला मौके पर पहुंचे। उन्होंने पूरे ऑपरेशन को खुद मॉनिटर किया। उनके निर्देश के बाद ऑपरेशन में तेजी आई. बारिश का पानी बोरवेल में भरे होने की वजह से ऑपरेशन में कठिनाई आई. कहा गया कि इन चुनौती में लग रहा था कि ऑपरेशन तेजी से चलना चाहिए और जल्दबाजी में मिट्टी भी नहीं धंसनी चाहिए। हालांकि प्रशासन की इतनी सक्रियता के बाद भी बच्ची बचाया नहीं जा सका.