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2nd Day Navratri 2025: मां-ब्रह्मचारिणी की पूजा,जानें-स्तुति व क्या लगाएं भोग ?

Shardiy Navratri 2025 2nd Day Puja Vidhi, Aarti, Vrat Katha

Shardiy Navratri 2025 2nd Day Puja Vidhi, Aarti, Vrat Katha

Shardiy Navratri 2025 2nd Day Puja Vidhi, Aarti, Vrat Katha – नवरात्रि का पर्व साल में दो बार आता है, चैत्र और शारदीय। शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से शक्तिपूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन किसी विशेष स्वरूप को समर्पित होता है।

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जिन्हें तपस्या, वैराग्य और ज्ञान की देवी माना जाता है। इस दिन मां की साधना करने से जीवन में स्थिरता, आत्मसंयम और मानसिक शक्ति का विकास होता है।

कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को कठिन से कठिन कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे, मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, आरती, भोग, व्रत कथा और महत्व, ताकि आप नवरात्रि के दूसरे दिन का पूजन विधिपूर्वक कर सकें और मां की कृपा प्राप्त कर सकें।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व – मां ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘ब्रह्म’ यानी तपस्या और ‘चारिणी’ यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ, तप का आचरण करने वाली देवी। पुराणों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने वर्षों तक जंगलों में रहकर केवल फल-फूल, फिर बेलपत्र और अंत में निर्जल-निर्वाह तप करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। मां का स्वरूप अत्यंत सरल, दिव्य और सौम्य है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं, जो पवित्रता और सादगी का प्रतीक है। मां के दाहिने हाथ में अक्षयमाला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। ये दोनों वस्तुएं साधना, ज्ञान और वैराग्य के प्रतीक हैं। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के भीतर आत्मबल और संयम की वृद्धि होती है। उन्हें तपस्या की देवी कहा जाता है, इसलिए उनकी पूजा से जीवन में धैर्य, साहस और शांति का संचार होता है।

दूसरे दिन का शुभ रंग – नवरात्रि के दूसरे दिन सफेद रंग पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह रंग शुद्धता, शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इस दिन सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनकर मां की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजन विधि | Maa Brahmacharini Poojan Vidhi

प्रातः स्नान और संकल्प – ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ, हल्के रंग के वस्त्र धारण करें, पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
मां का आवाहन – पूजा चौकी पर मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, उन्हें पीले या सफेद वस्त्र अर्पित करें।
पंचामृत स्नान – मां को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएं और फिर साफ जल से धोकर वस्त्र पहनाएं।
दीप प्रज्वलन और मंत्र जप – घी का दीपक जलाएं और धूप-दीप से आराधना करें, फिर मां के मंत्र का 108 बार जप करें।
भोग अर्पण – मां को मिसरी का भोग लगाएं। साथ ही पीले फल, दूध से बनी मिठाई, और पीले फूल अर्पित करें।
हवन और आहुति – लौंग, बताशा और हवन सामग्री से हवन करें।
आरती और प्रार्थना – मां की आरती करें और जीवन की बाधाओं के निवारण की प्रार्थना करें।
संध्याकालीन आरती – शाम के समय भी दीपक जलाकर मां की आरती करें और दिनभर के संकल्प को पूर्ण करें।

मां ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम् ,अक्षमालाकमण्डलू-देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
और “ओम ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः ” – इस मंत्र का जाप करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और तप, संयम व ज्ञान की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग – मां ब्रह्मचारिणी को मिसरी विशेष रूप से प्रिय है। इसलिए नवरात्रि के दूसरे दिन उन्हें मिसरी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। पीले वस्त्र और पीले फूल अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं और साधक को सफलता, ज्ञान और मानसिक संतुलन प्रदान करती हैं।

Maa Brahmacharini Vrat Katha

मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा (Vrat Katha) – कथा के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री सती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए जन्म-जन्मांतर में तपस्या की। अपने दूसरे जन्म में वे पार्वती के रूप में प्रकट हुईं और कठोर तपस्या की। मां ब्रह्मचारिणी का यह स्वरूप उसी तपस्या का प्रतीक है। मां की साधना के बल पर ही भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में धैर्य, आत्मसंयम और साधना से ही बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती | Maa Brahmacharini Ki Aarti

जय ब्रह्चारिणी माता,चतुरानन प्रिय सुखदाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती,हमें ज्ञान तुम्हीं तो देतीं ।

ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा, जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता, जो मन निसदिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए, कोई भी दुख निकट न आए।

उसकी वीरति रहे ठिकाने, जो मां तेरी महिमा जाने।

रुद्राक्षों की माला लेकर, जपे जो मंत्र श्रद्धापूर्वक।
आलस छोड़ करे गुणगाना, मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्मचारिणी नाम तुम्हारा, पूर्ण करो सब काज हमारा ।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी, रखियों सदा लाज महतारी।

विशेष – नवरात्रि का दूसरा दिन आध्यात्मिक शक्ति और आत्मसंयम का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मनुष्य को तपस्या और साधना का फल प्राप्त होता है। इस दिन सफेद या पीले वस्त्र धारण करें, मां को मिसरी का भोग लगाएं और मंत्र-जाप करें। मां ब्रह्मचारिणी का स्मरण करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, मानसिक शांति मिलती है और ज्ञान में वृद्धि होती है। यदि श्रद्धा और पूर्ण विधि से पूजा की जाए तो मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

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