एमपी। मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य हो गया है, जिसने अपने राज्य से डी-डुप्लीकेशन वाहनों की एंट्रियों को हटा दिया है। ये ऐसे सभी तरह के वाहन थे, जो एक ही जिलेे के आरटीओ के साथ दूसरे जिले में भी रजिस्टर्ड थे। इन वाहनों के मालिकों को परिवहन विभाग की डिजिटल सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था और शिकायतें भी बढ़ रहीं थीं। मध्यप्रदेश के 2,48,182 वाहन ऐसे थे, जिनकी अलग-अलग आरटीओ में डुप्लीकेट एंट्री थी। यानी एक ही वाहन दो या अधिक आरटीओ में दर्ज दिख रहा था। ऐसे ढाई लाख वाहनों की एंट्री को बंद कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश बना पहला राज्य
परिवहन विभाग का दावा है कि मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य हो गया है। जिसने डी-डुप्लीकेशन वाहनों पर कार्रवाई करके ऐसे वाहनों के प्रवेश को शून्य घोषित किया है। इसके लिए एमपी में दो महीने तक मुहिम चलाई गई। अब किसी भी वाहन की डुप्लीकेट एंट्री नहीं है। अब इन सभी वाहन मालिकों को परिवहन विभाग की 51 ऑनलाइन सेवाओं का लाभ मिलेगा, दरअसल पहले दो जगह एंट्री होने के कारण वाहन स्वामियों को ऑनलाइन सेवाएं नहीं मिल पाती थीं, क्योंकि वाहन की हिस्ट्री निकालने पर उसका रजिस्ट्रेशन दो या अधिक जिलों में दर्ज नजर आता था। इससे यह तय नहीं हो पाता था कि फीस किस आरटीओ को मिलेगी।
देश भर में है ऐसे 35 लाख वाहन
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों को डुप्लीकेट एंट्री खत्म करने के निर्देश दिए थे। देश भर में ऐसे करीब 35 लाख वाहन रजिस्टर्ड थे, जिनकी एंट्री दो या अधिक आरटीओ में दर्ज थी। यह स्थिति तब बनी जब पुराने दस्तावेजों को डिजिटाइज करते समय वाहन ट्रांसफर के बाद भी पहले आरटीओ ने पुरानी एंट्री डिलीट नहीं की। परिणामस्वरूप एक ही वाहन कई जिलों में दर्ज हो गया। इससे देश में 35 लाख और मप्र में करीब ढाई लाख वाहन दस्तावेजों में ज्यादा दिख रहे थे, लेकिन रेवेन्यू नहीं मिल रहा था। आरटीओं के अफसरों का कहना है कि ऐसे वाहनों को लेकर 15 दिनों तक विभाग में समीक्षा करने के साथ ही राज्य स्तर पर निगरानी की गई। जिसके तहत सभी रिकॉर्ड से डुप्लीकेट एंट्री हटाई गई।
