कर्रेगुट्टा एनकाउंटर में 17 महिलाएं और 14 पुरुष नक्सली ढेर

cg news

Carregutta Encounter: 21 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ यह ऑपरेशन कर्रेगुट्टा पहाड़ी के घने जंगलों में 24 दिनों तक चला। इस दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के एक मजबूत गढ़ को घेर लिया, जो अब तक उनके लिए सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। ऑपरेशन में लगभग 10,000 जवानों ने हिस्सा लिया, जिनमें जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), CRPF, और कोबरा यूनिट शामिल थे।

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाकर 31 नक्सलियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन की सफलता और इसके महत्व को रेखांकित करने के लिए 14 मई 2025 को शाम 4 बजे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के डीजी जीपी सिंह और छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजी अरुण देव गौतम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।

24 दिनों तक चला ऑपरेशन

21 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ यह ऑपरेशन कर्रेगुट्टा पहाड़ी के घने जंगलों में 24 दिनों तक चला। इस दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के एक मजबूत गढ़ को घेर लिया, जो अब तक उनके लिए सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। ऑपरेशन में लगभग 10,000 जवानों ने हिस्सा लिया, जिनमें जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), CRPF, और कोबरा यूनिट शामिल थे। ड्रोन की मदद से नक्सलियों की मौजूदगी की पुष्टि की गई, जिसके बाद 24 अप्रैल को 4 और 7 मई को 27 नक्सलियों को मार गिराया गया।

17 महिलाएं और 14 पुरुष नक्सली मारे गए

मारे गए 31 नक्सलियों में 17 महिलाएं और 14 पुरुष शामिल थे। सभी शव बरामद कर लिए गए, जिनमें से 20 की पहचान हो चुकी है, और 11 शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं। ऑपरेशन में 400 से अधिक आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस), 2 टन विस्फोटक, और 40 हथियार भी बरामद किए गए, जो नक्सलियों की बड़ी साजिश को नाकाम करने का संकेत देते हैं।

कर्रेगुट्टा पहाड़ी नक्सलियों का मजबूत ठिकाना: CRPF डीजी जीपी सिंह

प्रेस कॉन्फ्रेंस में CRPF डीजी जीपी सिंह ने इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “कर्रेगुट्टा पहाड़ी नक्सलियों का मजबूत ठिकाना थी, जहां से वे अपनी गतिविधियां संचालित करते थे। इस ऑपरेशन ने न केवल उनके ठिकाने को नष्ट किया, बल्कि उनकी रणनीतिक ताकत को भी कमजोर किया।

20-30 किलोमीटर तक कोई गांव या रास्ता नहीं

छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजी अरुण देव गौतम ने ऑपरेशन की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कर्रेगुट्टा का इलाका घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों से घिरा है, जहां 20-30 किलोमीटर तक कोई गांव या रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे जवानों ने असाधारण साहस और रणनीति के साथ इस दुर्गम क्षेत्र में नक्सलियों को घेरा। यह ऑपरेशन केंद्र सरकार के 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के संकल्प को मजबूती देता है।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी स्पष्ट किया गया कि ऑपरेशन में शामिल सभी जवान सुरक्षित लौट आए हैं, हालांकि कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं। डीजी सिंह ने यह भी बताया कि मारे गए नक्सलियों में कुछ वरिष्ठ कैडर के सदस्य शामिल हो सकते हैं, जिनकी पहचान की प्रक्रिया जारी है।

विपक्ष ने उठाए सवाल

इस ऑपरेशन को लेकर जहां केंद्र और राज्य सरकार ने सुरक्षाबलों की पीठ थपथपाई, वहीं विपक्ष ने कुछ सवाल उठाए। बीजापुर से कांग्रेस विधायक विक्रम शाह मंडावी ने सरकार से मांग की कि मारे गए लोगों की पहचान स्पष्ट की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे नक्सली थे या आम ग्रामीण। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा के बयानों में कथित विरोधाभास पर भी सवाल उठाए। हालांकि, गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन संकल्प नाम से कोई अभियान नहीं था, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया। उन्होंने कहा कि यह नियमित नक्सल-विरोधी अभियान था, जिसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।

नक्सलवाद के खिलाफ व्यापक रणनीति

कर्रेगुट्टा एनकाउंटर नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की रणनीति का हिस्सा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पहले ही घोषणा कर दी है कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज के अनुसार, इस साल 1 फरवरी 2025 तक छत्तीसगढ़ में 50 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं, और बीजेपी सरकार बनने के बाद से अब तक 219 नक्सलियों का सफाया किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *