10 Directions | जाने दस दिशाओं और उनके दिग्पालके बारे में

10 Directions | Ten Directions And Their Digpal: वैसे तो हम सब जानते हैं, दिशाएं चार होती हैं। लेकिन हिंदू धर्म और संस्कृति में दिशाओं की संख्या दस मानी गई है। पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण चार मुख्य दिशाओं के अलावा- ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, ऊर्ध्व और अधो सहित छः गौंण दिशाएँ भी होती हैं। हार दिशाओं के पालक और रक्षक एक देवता होते हैं हैं जिन्हें दिग्पाल कहते हैं।

दिशाओं की उत्पत्ति की पौराणिक कथा | 10 Directions

पुराणों की कथाओं के अनुसार जब भगवान ब्रम्हा सृष्टि का सृजन कर रहे थे, तब उनके कान से 10 कन्याएँ उत्पन्न हुईं, जिनमें से चार मुख्य थी और छः गौंण थीं। उन्होंने परमपिता ब्रम्हा को प्रणाम कर अपने रहने के लिए स्थान और योग्य पालक की मांग की। तब ब्रम्हा जी ने उनसे इच्छा अनुसार जिस तरफ भी जाना हो जाने के लिए कहा और उनके लिए लिए योग्य पालक की सृष्टि करने का भी भरोसा दिया। वह कन्याएँ जिस दिशा की तरफ ही गईं, उस तरफ का नाम इनके कारण हो गया। पूर्वा, अग्नेया, दक्षिणा, नैऋती, पश्चिमा, वायवी, उत्तरा, ईशानी, ऊर्ध्वा और अधस हैं। इनसे ही क्रमशः 10 दिशाओं का निर्माण हुआ।

दस दिशाएं और उनके दिग्पाल | 10 Directions

  1. पूर्व दिशा – जिस दिशा से सूर्योदय होता है, वही पूर्व दिशा कहलाती है। इस दिशा के दिग्पाल देवताओं के राजा इंद्र हैं।
  2. आग्नेय दिशा – जहां पर पूर्व और दक्षिण दिशा मिलते हैं, उसे ही आग्नेय दिशा बोला जाता है। इस दिशा के दिग्पाल अग्निदेव हैं।
  3. दक्षिण दिशा – दक्षिण दिशा का स्वामी सूर्यपुत्र यमराज को माना जाता है। इसीलिए घरों में दक्षिण दिशा की ओर द्वार नहीं बनाए जाते हैं, क्योंकि इसे यमपुरी का द्वार माना जाता है।
  4. नैऋत्य दिशा – दक्षिण और पश्चिम दिशा जहां पर मिलते हैं, उनके मिलन के बिन्दु को ही नैऋत्य दिशा कहा जाता है। इस दिशा का दिग्पाल नैऋत देवता को माना जाता है।
  5. पश्चिम दिशा – पश्चिम वह दिशा है, जहां सूर्यास्त होता है। इस दिशा का स्वामी जल राशि के देवता वरुण को माना जाता है।
  6. वायव्य दिशा – जिस कोण पर पश्चिम और उत्तर दिशा का मिलन होता है, वही वायव्य दिशा कहलाती है। इस दिशा का दिग्पाल वायु देव को माना जाता है।
  7. उत्तर दिशा – दक्षिण दिशा के ठीक सामने की दिशा ही उत्तर कहलाती है। इस दिशा का अधिपति देवताओं के धनाध्यक्ष यक्षपति कुबेर को माना जाता है।
  8. ईशान दिशा – उत्तर और पूर्व दिशा के मिलन का बिन्दु ही ईशान कहा जाता है। इस दिशा का अधिपति स्वयं भगवान शिव को माना जाता है, उनका एक नाम ईशान भी है। हालांकि कुछ ग्रंथों में इस दिशा का दिग्पाल सोम को माना जाता है।
  9. ऊर्ध्व दिशा – आकाश की तरफ की दिशा को ही ऊर्ध्व दिशा माना जाता है। इस दिशा का दिग्पाल सृष्टा ब्रम्हा जी को माना जाता है।
  10. अधो दिशा – धरती के नीचे पाताल को ही अधो दिशा कहा जाता है। इस दिशा का दिग्पाल नागों के राजा अनंत अर्थात शेष को माना जाता है। हालांकि कुछ ग्रंथों में जगतपालक भगवान विष्णु को अधो दिशा का अधिपति माना जाता है।

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