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लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन

Protests in Ladakh:

Protests in Ladakh:

Ladakh Statehood Demands: लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार ने पहले भी कई बार बैठक की है और लिखित में इसकी आश्वासन भी दी है इसके बावजूद लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग उठ रही है.

Ladakh Statehood Demands Protest: जम्मू कश्मीर से अलग कर बनाए गए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर कल यानि शनिवार (3 जनवरी) को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूचित के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला। पूरा लद्दाख बंद रहा लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस द्वारा सयुक्त रूप से यह प्रदर्शन किया गया.

Protests in Ladakh: लेह में पड़ रही हाड़ कपा देने वाली ठंड के बावजूद विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में परुष के साथ महिलाएं भी शामिल हुई. इस दौरान नारे भी लगाए लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची को लागु करने और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग संसदीय सीटों की मांग की.

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनधियों से दूसरे राउंड की बातचीत करने का एलान किया था. इसके बावजूद इन दोनों संगठनों ने लद्दाख शटडाउन रखा. लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करने के लिए केंद्र ने पहले ही राज्य मंत्री (होम अफेयर्स) नित्यानंद राय की अगुवाई में एक हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया है.

लद्दाख के लोगों क कहना ही हम कभी न खत्म होने वाले ब्यूरोक्रेटिक रूल्स के तहत नहीं रह सकते हैं. लोगों का कहना है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही उनकी मांगों की पूर्ति होगी। जब वो राज्य के लिए खुद प्रतिनधि चुन सकेंगे। दिसंबर माह में केंद्र सरकार ने लद्दाख में पहली बैठक की थी और लेह और कारगिल की दोनों संस्थानों से अपनी मांगें रखने को कहा.

चार साल पहले केंद्र ने आर्टिकल 370 हटाया था

5 अगस्त 2019 को केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था. इसके बाद जम्मू कश्मीर को अलग-अलग केंन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया था और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. लेकिन इसके दो साल के अंदर ही लेह और कारगिल के लोग राजनीतिक तौर पर खुद को बेदखल किया हुआ महसूस करने लगे और तभी से ये लोग केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।

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