महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित उपचार

महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर तब ज्यादा असर दिखता है जब वह गर्भावस्था में होती है. इस दौरान उनमें काफी बदलाव देखने को मिलते है जिनमें मानसिक स्वास्थ्य ज्यादा कारगर होता है. गर्भावस्था के दौरान उनके जीवन में काफी उथल-पुथल होती है जिससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर होता है.

इस दौरान महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन होते है जिसके कारण उनमें विभिन्न कारकों में बदलाव नजर आने लगते है. गर्भावस्था में या इसके बाद महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य पर असर दिखाई देता है. लेकिन ज्यादातर लोग इन बिमारियों को अहमियत नहीं देते हैं और इसे सामान्य सा परिवर्तन समझ कर इनसे मुंह फेरते नजर आते है. ऐसे मेडटेक इन समस्याओं को गंभीर मानते हुए इनका समाधान भी खोजकर लाता है.

बता दें इस स्थिति को प्रीमेनस्ट्रूअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर कहते है. जिसमें मासिक धर्म से पहले विकसित होने पर महिलाओं के सामजिक और व्यक्तिगत सम्बन्धों पर विशेष प्रभाव डालती है. 1990 के दशक में इसके निदान को मान्यता प्राप्त हुई थी. प्राप्त सर्वे से ज्ञात हुआ है कि अमेरिका में सात माताओं में से एक को इस रोग का सामना करना पड़ता है. वहीं महिलाओं के काम पर बभी इसका असर दिखाई देता है. करीब 17 फीसदी महिलाएं अपने काम से इस्तीफा इसलिए देती है क्यूंकि उनमें इस तरीके के बदलाव नजर आने लगते है. जो कि उन्हें सामाजिक तौर पर काफी कष्ट प्रदान करते हैं.

गर्भवस्था के ये लक्षण शारीरिक ही नहीं मानसिक भी हो सकते है. इस परिस्थिति में महिलाओं के साथ अनिंद्रा, व्यवहार में बदलाव जैसी समस्याएं सामने आती है. इसके उपचार कि बात करें तो अमेरिका में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ रिटायर्ड पर्सन द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि इस बीमारी से करीब 60 फीसदी महिलाएं ग्रसित होती है जो उपचार कि तलाश करती है. जिसमें से केवल 25 प्रतिशत महिलाओं को ही इसका उपचार मिल पाता है.

इतना ही नहीं इस रोग से पीड़ित महिलाएं जो 25 साल से कम उम्र की है वह आत्महत्या करने पर भी उतारू हो जाती है. इतना ही नहीं हर दो दिन में एक महिला आत्महत्या करती है जो इस समस्या से जूझ रही होती है. फेमटेक महिलाओं की ऐसी ही समस्याओं के समाधान को खोज कर लाया है. जिसमें महिलाओं की इन समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान मिलेगा. फेमटेक की जरिए महिलाओं के इन लक्षणों को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही जल्दी निदान के लिए टेलीमेडिसिन है जो महिलाओं कि इन समस्याओं को जड़ से खत्म कर देती है. वहीं डिजिटल उपकरणों के माध्यम से भी इसका निदान सम्भव है. जिसमें टॉकिंग थेरेपी एक प्रक्रिया है जिससे महिलाओं को इस समस्या से निराकरण मिलता है. फेमटेक के माध्यम से महिलाओं कि इन समस्याओं से छुटकारा मिलेगा. डॉक्टर्स और समस्याग्रस्त महिलाओं के बीच डिजिटल उपकरणों के माध्यम से इस समस्या के निदान के लिए काम किया जा रहा है. 

महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव से मुक्ति के लिए विशेष तकनीक स्थापित कर इस रोग से मुक्ति पा सकते है. और कोशिश की जाए कि अन्य रोग के जैसे ही इस रोग को भी दर्जा मिले और इनके निराकरण के लिए यथायोग्य उपचार महिलाओं को मिले.

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