महादेव के इन तीन शिवलिंगों को कोई नहीं छू सकता है

Miracles of Mahadev's amazing Shivalinga

सावन का शुभ अवसर मनाया जा रहा है। सावन के हर सोमवार को लोग दूर दूर से भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाते हैं, पुष्प और जल चढ़ाते हैं। मंदिरों में इतनी भीड़ होती है, कि कई श्रद्धालु घायल भी हो जाते हैं लेकिन अपने भोलेनाथ के दर्शन अवश्य करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है महादेव के 3 ऐसे शिवलिंग हैं जिन्हें महाशिवरात्रि के वक्त कोई नहीं छू सकता। हां आज हम आपको भगवान भोलेनाथ के उन 3 चमत्कारी शिवलिंगों के बारे में बताएंगे जिन्हें न तो किसी ने छुआ है न ही छू सकता है।

माउंट टापू का रंग बदलने वाला शिवलिंग

Shivalinga that changes the color of Mount Tapu: माउंट टापू जिसे अर्ध कशी भी कहा जाता है, माउंट टापू के आजालगढ़ की पहाड़ी में में अचलेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है जहां भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग के साथ साथ भोलेनाथ के अंगूठे की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर में सावन के अवसर पर किसी को भी शिवलिंग को छूने की इजाज़त नहीं है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पूरे दिन में 3 बार अपना रंग बदलता है। सुबह शिवलिंग लाल रंग का दिखती है। शाम होते होते ये शिवलिंग नारंगी जो जाता है और रात में शिवलिंग नीला दिखाई देता है।आज तक वैज्ञानिक भी इसका पता नहीं लगा पाए कि आखिर महादेव का ये शिवलिंग अपने रंग क्यों बदलता है, और न ही आज तक कोई शिवलिंग के आखिरी छोर तक पहुंच पाया है। किसी को नहीं पता कि शिवलिंग की लंबाई धरती के अंदर कितनी है।

हिमाचल प्रदेश में भोलेनाथ पीते हैं सिगरेट

Bholenath smokes cigarettes in Himachal Pradesh: 1621 में बनवाया गया ये मंदिर गुफा के अंदर है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन के अर्की में लूटरु महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की लटाए हैं। इस मंदिर में शिवलिंग पर फल फूल के साथ साथ जलती हुई सिगरेट भी चढ़ाई जाती है। सिगरेट को शिवलिंग पर लगाते ही सिगरेट खत्म हो जाती है, लेकिन यदि उन्हें सिगरेट न चढ़ाई जाए तो मंदिर के आस पास कुछ बुरी घटनाएं होने लगती थी। इस शिवलिंग को चुना साफ माना है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग से पहले दूध निकलता था लेकिन एक बार एक गडरिए ने शिव लिंग की लताओं को छू लिया तब से वो दूध पानी में बदल गया। इस लिए शिवलिंग को छूने पर पाबंदी है।

हिमाचल प्रदेश का बिजली महादेव मंदिर

Bijli Mahadev Temple of Himachal Pradesh: बिजली महादेव मंदिर का नाम “बिजली महादेव” क्यों पड़ा पहले ये जानते हैं। दरअसल इस मंदिर मंदिर के नाम में ही सर रहस्य छुपा हुआ है इस शिवलिंग पा हर 12 साल में एक बार बिजली गिरती है और ये शिवलिंग टुकड़ों में बिखर जाता है। लेकिन ये शिवलिंग फिर जुड़ जाता है और अगले 12 साल नदी फिर टुकड़ों के बिखर जाता है। माना जाता है इसके पीछे भी महादेव की ही लीला है, शिव लिंग पार बिजली गिरने के लिए स्वयं महादेव ने ही इंद्र देव को कहा था ताकि उनके भक्तों को बिजली के प्रकोप से बचा सकें। जब इस शिवलिंग पर बिजली गिरती है और ये शिवलिंग टुकड़ों में बिखर जाती है तो मंदिर के पुजारी सारे टुकड़ों को इकट्ठा कर नमक, मक्खन और सत्तू के लेप से जोड़ देते हैं। इस शिवलिंग को पुजारियों के अलावा किसी को भी छूने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

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