जितने खराब हालात, उतने मज़बूत हम

न्याज़िया
मंथन।
अक्सर परिस्थितियां हमें तोड़ कर रख देती हैं लेकिन आपको नहीं लगता कि जिसके जितने मुश्किल हालात वो उतना ही मज़बूत होता है! हालातों को बेहतर बनाने का माद्दा उसके अंदर कुदरती तौर पर आरामदायक ज़िंदगी जी रहे इंसान से कहीं ज़्यादा होता है, छोटी-छोटी परेशानियां में रोना या हार मानना तो उसे आता ही नहीं , आख़री वक़्त तक हालातों को अपने हक़ में करने का हुनर आता है उसे ,वो ये नहीं सोचता क्या बुरा हुआ है बल्कि ये सोचता है कि अब जो कुछ भी उसके हांथ में है वो क्या है और वो उसे कैसे ठीक कर सकता है ।

कैसा है ये संघर्ष

कैसी है ये जद्दोजहद जो हर पल को अपने मुताबिक ढालने में लगी रहती है, कितनी आती हुई ,मुश्किलों का रुख़ मोड़ देती है, क्या ये आसान काम है नहीं न! क्योंकि ये केवल उन अनुभवी लोगों के ही बस में होता है जिन्होंने हर पल से कुछ न कुछ सीखा है। जिन्हें हर पल को पढ़ना आता है, इनके हिस्से में जो भी पल हैं, वो है तो क्यों है इसका अर्थ समझना आता है ,हालांकि ये गुत्थी सुलझाना बहुत मुश्किल है, लेकिन कुछ पारखी लोग इसे सुलझा ही लेते हैं, वो जानते हैं कि इन्हीं पलों में कहीं छुपी है आने वाली मुसीबत, जिसे भाप कर वो कुछ इंतज़ाम कर लेते हैं उसे दूर करने के।

न रोना न टूटके बिखरना

इसलिए ज़िंदगी कितनी भी मुश्किल हो किसी का सहारा ढूंढने से बेहतर है ख़ुद को ही मज़बूत बनाने की कोशिश करें ,जो मन तड़प रहा है उसे बहलाने की कोशिश करें ,रो लेना भी बुरा नहीं है पर किसी के सामने रोना या रोते रहना ग़लत है ,क्योंकि इससे किसी से पल दो पल की सहानुभूति या हमदर्दी तो मिल जाएगी लेकिन कोई हमारा सच्चा सहारा नहीं बन पाएगा कि जब भी हमें ज़रूरत हो तो वो खुद आकर हमारा हांथ थाम ले।

हर हाल में उम्मीद बरक़रार रखना

लाख परेशानियां हों लेकिन हिम्मत नहीं हारना ही अगले पल में जीतने की निशानी है ,क्योंकि बेशक हमारे पास किसी समस्या का हल न हो लेकिन आशा को हमेशा ज़िंदा रखना चाहिए क्योंकि ये उम्मीदें हीं वो बचाने कि हिम्मत हमें देती हैं जिन्हें बचाया जा सकता है जो बुरा हो गया उसका सोग मनाने के बजाए आगे जश्न मनाने के मौके देती हैं।

जो चला गया वो बस क़ीमती नहीं था

ये मानना भी ज़रूरी होता है कि जो चला गया वो बस हमारे लिए अनमोल नहीं था बल्कि जो बचा है वो भी हमारे लिए बहुत बेशकीमती है और इस ग़म में कहीं हम उसे न अनदेखा कर दें इसलिए खुद को संभालकर उसे संवारने की कोशिश करनी चाहिए। यही वो फलसफा है जो बुरी से बुरी कंडीशन में, हमारा सब बर्बाद हो जाने पर भी हमें वो बचाने के लिए प्रेरित करता है जो कुछ मज़बूत लोगों को ही दिखाई देता है, ग़ौर ज़रूर करिएगा इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।

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