Gukesh to begin battle to become youngest world chess champion : एक 18 वर्षीया भारतीय युवा को शतरंज के इतिहास का सबसे बड़ा मुकाबला खेलने का मौका मिल रहा है। तीन हफ़्तों में शतरंज के सबसे युवा अजेय विश्व चैम्पियन को आप बड़े मैदान में उतरते हुए देख सकते हैं। डी गुकेश जिन्होंने कुछ महीने पहले अपने स्कूल के कपड़ों में मर्सेडीज़ बेंज इ – क्लास को स्वीकार किया था।
Gukesh D | गुकेश डी ये शतरंज के “ग्रांडमास्टर” युवा भारतीय खिलाड़ी हैं जो पिछले साल से चैस में अपने शातिर अंदाज से दुनिया भर में सनसनी फैला रहें हैं और अब चैस वर्ल्ड चैंपियनशिप के मैदान में उतरने वाले हैं। इसी साल गुकेश ने कनाडा में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीता था और वल्र्ड चैंपियनशिप मुकालबे में अपनी जगह बनाई थी। वो ऐसा करने वाले सबसे युवा ग्रांडमास्टर बने थे। गुकेश के इसी सफलता पर ही चेन्नई में उनके स्कूल वेलम्मल नेक्सस की और से एक खास गिफ्ट देकर सम्मानित किया था ये कोई मामूली ट्रॉफी नहीं थी बल्कि एक महंगी कार 90 लाख की कीमत वाली मर्सेडीज़ इ बेंज देकर उनको सम्मानित किया गया था। गुकेश ने इंटरव्यू में बताया था कि वो सिर्फ चौथी क्लास तक ही रेगुलर स्कूल जा पाए थे इसके बाद से चैस के कारन वो नियमित तौर पर क्लास नहीं अटेंड कर पाए थे।
वर्ल्ड चैम्पियन बनेंगे गुकेश ?
डी गुकेश सोमवार से सिंगापपुर में शुरू होने वाले चैस वर्ल्ड चैम्पियनशिप में नंबर वन पे माजूदा वर्ल्ड चैंपियन डिंग लिरेन के साथ भिड़कर वर्ल्ड चैंपियनशिप को अपने नाम कर सकते हैं। गुकेश जो अभी सिर्फ 18 साल के हैं चैस में काफी समय से सबसे आक्रामक खेल दिखा रहें हैं ,वहीं दूसरी ओर अगर चीन के खिलाड़ी कि बात करें डिंग लिरेन ने पिछले 9 के अधिक समय से कोई `क्लासिकल जीत अपने नाम नहीं की है। अभी जो डिंग लिरेन की मौजूदा स्थिति है उसको नज़र में रखते हुए ये मुकाबला आसान नज़र आ रहा है ,लेकिन तब ही तक जब तक 32 वर्षीया डिंग इस आसान रास्ते को संघर्ष करके उसे गुकेश के लिए और भी कठिन ना बना दें। लिरेन 2023 में खिताब जीतने के बाद से लगातार अपने शातिर प्रदर्शन के बाद वर्ल्ड रैंकिंग में खिसककर 23वें स्थान पर आ गए हैं।
क्या बन पाएंगे वो अगले विश्वनाथ ?
यह पहली बार होगा जब भारतीय खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद के अलावा गुकेश चैस वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे ,जो शतरंज का सबसे बड़ा मुकाबला माना जाता है। 10 साल पहले भारत के विश्वनाथन आनंद जो शतरंज के ग्रांडमास्टर और 5 बार चैस वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर चुके हैं। वह साल 1988 में भारत के पहले शतरंज ग्रैंडमास्टर बने थे। साल 2000 में उन्होंने पहली बार विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती था। साल 2007 में भी उन्होंने विश्व शतरंज प्रतियोगिता में जीतकर खिताब अपने नाम किया था। साल 2010 में भी उन्होंने विश्व चैंपियन का खिताब जीता था। आनंद को साल 1985 में खेल के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए “अर्जुन अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया था।
साल 1991-92 में उन्हें “राजीव गांधी खेल रत्न” से सम्मानित किया गया। साल 1987 में उन्हें पद्मश्री, राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था। और इसके अलावा साल 2007 में उन्हें “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया गया था। आनंद ने अपना आखरी मैच रूस के सोची में साल 2013 में खेला था, जिसमे उनको मैग्नस कार्लसन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। आनंद की भूमिका को सराहना देते हुए गुकेश कई मौके पर कह चुके हैं ” अगर वीसी सर नहीं होते तो आज जो मैं हूँ उसके करीब भी नहीं पहुंच पाता।
आपको बात दें गुकेश की वर्ल्ड रैंकिग नंबर 5 है जबकि डिंग लिरेन की रैंकिंग नंबर 23 में है। चैस के इतिहास में कोई भी वर्ल्ड चैंपियंन में इतनी कम रैंकिंग में नहीं रहा है। इसके वावजूद भी आकड़े गुकेश के पक्ष में नज़र आ रहें हैं जिन्होंने पिछले साल 2794 की सर्वोच्च रेटिंग के साथ 37 रेटिंग अंक प्राप्त किये हैं जबकि लिरेन ने इसी अवधि में 52 अंक गवाए हैं। आज से ठीक एक साल पहले 2816 के अंक के साथ डिंग लिरेन दुनिया में सबसे अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ी थे जो अब इस सूची में 23 वे नंबर पर आ चुकें हैं। गुकेश 2783 अंक के साथ वर्त्तमान में रेटिंग में 5वे स्थान में हैं।
भारत के लिए होगी गर्भ वाली बात :
गुकेश अपने सामने वाले कॉम्पिटीटर से 14 साल छोटे हैं ,ऐसे में अपने से ज्यादा उम्र और ओहदे वाले प्रतिद्वंदी के साथ खेलना पर गुकेश ने कहा कि ” मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं बहुत शांत चित्त हूं। मुझे पता है कि यह एक बड़ा टूर्नामेंट है और मैं बहुत उत्साहित हूं। लेकिन मुझे यह भी पता है कि मैं किसी भी तरह की घबराहट को संभाल सकता हूं। जब तक मुझे अपने कौशल पर भरोसा है तब तक मुझे चिंता करने की कोई बात नहीं है।”
सोमवार को जब गुकेश अपने मैच के लिए सिंगापुर के इक्वेरियस होटल में डिंग के सामने बेठ्तें हैं ,तो उनके पास राष्ट्र की उम्मीदें और कुछ घबराहट का सामना करने का मौका होता है। गुकेश के पास ऐसा करने का अवसर है जो किसी युवा ने पहले कभी नहीं किया है। यह उनके लिए ,भारतीय शतरंज और खेल के भविष्य के लिए एक बड़ा क्षण है।