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इलाहबाद हाईकोर्ट की जज पर तल्ख़ टिप्पणी: आप जज बने रहने के लायक नहीं, पढ़ें पूरा मामला

Allahabad Highcourt-

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Allahabad High Court’s decision: कोर्ट ने कहा कि CJM कानूनी लड़ाई हाईकोर्ट तक हारते गए। इसके बाद भी बांदा कोतवाली में बिजली विभाग के अफसरों के खिलाफ इंस्पेक्टर दान बहादुर को धमका कर FIR दर्ज करा दी। कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट किया कि 14 सालों में मजिस्ट्रेट ने मात्र 5 हजार रुपए ही बिजली बिल जमा किया है। कोर्ट ने उनसे पूछा तो जवाब मिला कि CJM सोलर पावर इस्तेमाल कर रहे हैं।

High Court Reprimands the judge: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) भगवान दास गुप्ता के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जज ने निजी हित के लिए अपने पद का गलत फायदा उठाया है। बिल भेजने पर बिजली विभाग के अधिकारियों पर फर्जी केस कराया। वह जज बने रहने लायक नहीं हैं। साथ ही, हाईकोर्ट ने हिदायत दी कि निचली अदालत का कोई भी जज, जिला जज के आदेश के बिना FIR दर्ज न कराएं। हालांकि, अति गंभीर मामलों में केस करा सकते हैं। बुधवार 22 मई को जस्टिस राहुल चतुर्वेदी और मो. अजहर हुसैन इदरीसी ने लखनऊ के अधिशासी अभियंता मनोज गुप्ता, SDO दीपेंद्र सिंह और संविदा कर्मी राकेश सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया। CJM ने 2023 में इनके खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में केस दर्ज कराया था। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

CJM की ​​शिकायत पर हुई थी SIT जांच

Allahabad High Court: CJM भगवान दास गुप्ता ने 2009 में लखनऊ के अलीगंज में मकान खरीदा था। इस पर 1 लाख 66 हजार 916 रुपए का बिजली बिल नहीं चुकाया गया था। बिजली कनेक्शन मकान मालिक के नाम था। CJM ने कनेक्शन अपने नाम करवाने के लिए अलीगंज सब स्टेशन पर एप्लिकेशन दी। विभाग ने कहा कि बिल का भुगतान होने के बाद ही नाम बदला जा सकता है। बिजली विभाग ने‌ बिल वसूली के लिए नोटिस भेज दी। CJM भगवान दास ने मकान बेचने वाले और बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ लखनऊ की ACJM कोर्ट में शिकायत कर दी। उनकी शिकायत पर कोर्ट ने SIT जांच के आदेश दिए। अफसरों को समन भी भेजा, लेकिन बाद में वापस ले लिया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने केस खारिज कर दिया था।

जज ने दोबारा बांदा कोतवाली में केस दर्ज कराया

Allahabad High Court’s decision: CJM भगवान दास ने 27 जुलाई 2023 को धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए बिजली विभाग के अफसरों के खिलाफ बांदा कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया। इस मुकदमे को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अफसरों के खिलाफ मुकदमा चलाने से मना कर दिया।

कानूनी लड़ाई हारते गए CJM

Allahabad High Court’s decision: कोर्ट ने कहा कि CJM कानूनी लड़ाई हाईकोर्ट तक हारते गए। इसके बाद भी बांदा कोतवाली में बिजली विभाग के अफसरों के खिलाफ इंस्पेक्टर दान बहादुर को धमका कर FIR दर्ज करा दी। कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट किया कि 14 सालों में मजिस्ट्रेट ने मात्र 5 हजार रुपए ही बिजली बिल जमा किया है। कोर्ट ने उनसे पूछा तो जवाब मिला कि CJM सोलर पावर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों पर घूस मांगने का भी आरोप‌ लगाया। वहीं, बिजली विभाग के अधिकारीयों ने कोर्ट में बताया कि जज ने 2,01,963 रुपए बिजली बिल अभी तक जमा नहीं किया है।

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जज भी एक लोकसेवक हैं

हाईकोर्ट ने कहा कि एक जज की तुलना अन्य प्रशासनिक पुलिस अफसरों से नहीं की जा सकती। हालांकि, जज भी अन्य अफसरों की तरह लोकसेवक हैं, लेकिन ये न्यायिक अधिकारी नहीं, जज हैं, जिन्हें भारतीय संविधान से संप्रभु शक्ति का इस्तेमाल करने का अधिकार मिला है। एक जज का धैर्य और व्यवहार संविधान के मुताबिक ही होना चाहिए।

पूर्व चीफ जस्टिस की किताब का उल्लेख

हाईकोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी की किताब का उल्लेख करते हुए कहा कि जज जो सुनते हैं, देख नहीं सकते। जो देखते हैं, उसे सुन नहीं सकते। जज की अपनी गाइडलाइंस हैं। उनके फैसले ऐसे हों, जिसमें उनका व्यक्तित्व दिखाई दे।

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