Joint Account Holder: वित्त क्या है ,धन संपत्ति ,इसके अलावा वफ़ा और बेवफ़ा तो सबको समझ आता है साथी जब वफ़ादार न हो और बेवफाई करे तो वो भी समझ में आती है पर वित्तीय बेवफाई क्या है ? ये हिंदी-उर्दू का शब्द क्या है क्या आप जानते हैं ! नहीं तो चलिए आज इसी को समझने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले ये जान लेते हैं कि ये बेवफाई किन लोगों के बीच होती है तो हम आपको बता दें कि ये वही लोग हैं जिन्हें बैंक हितधारकों की श्रेणी में रखता है और जो आपकी जमा पूँजी में बराबर के भागीदार होते हैं।
संयुक्त खाते में अक्सर आपका जीवनसाथी, या फिर वो लोग होते हैं जिन्हें आपकी या आपको जिनकी ज़रूरत है और उनसे बिना बताए यानी गुप्त रूप से पैसा खर्च करना या रखना, वित्तीय बेवफाई हैं जो शुरू होती है उन्हीं अपनों से छुपा कर – क्रेडिट कार्ड रखने , गुप्त खाते या धन का भंडारण करने ,उधार लेने या किसी और तरह से उधार लेने से । इसके अलावा उनसे छुपा कर ,अत्यधिक खरीदारी करना, गुप्त संपत्ति खरीदना, या शेयर बाज़ार में या जुए के माध्यम से पैसा गँवाना आदि भी वित्तीय बेवफाई के कारण बनते हैं।
वित्तीय बेवफाई के नुक्सान :-
क़रीबी रिश्तों में वित्तीय बेवफाई से न केवल आर्थिक तनाव पैदा होता है बल्कि रिश्ते में आत्मीयता और विश्वास की कमी भी हो जाती है। कुछ रिपोर्टों की मानें तो अब तक संयुक्त वित्तीय स्थिति वाले 33% जोड़ों ने बेवफाई की है और ये बेवफाई रुक नहीं रही है बल्कि और बढ़ती ही जा रही है वो भी शायद इसलिए क्योंकि अक्सर लोग अपनी वित्तीय जानकारी के बारे में झूठ बोलते हैं यहाँ तक कि अपने अपनों से भी।
और हैरत की बात तो ये है कि क़रीबी रिश्तों में हर तीन में से एक व्यक्ति झूठ बोलने की बात स्वीकार भी करता है यानी पैसा कोई साधारण मसला नहीं है बल्कि ये वो मुद्दा है जो शादीशुदा जोड़ों में कभी -कभी शादी टूटने की वजह भी बन जाता है।
इस मुद्दे में सबसे ख़ास बात ये है कि यदि हम अपनी संयुक्त पूँजी में से कोई भी निवेश करें तो हितधारकों से परामर्श करना ज़रूरी होता है पर जब परामर्श तो दूर छुपाया जाए तो ये वित्तीय बेवफाई की स्थिति बना देती है आम तौर पर आंतरिक रूप से कमज़ोर या अलग होने वाले जोड़ों में ये होता है।
वित्तीय बेवफाई को पहचाने कैसे :-
इस स्थिति में आपके साथी की खर्च करने की आदतों में बदलाव देखने को मिल सकता है या खर्च उसकी हैसियत से ज़्यादा हो सकता है जिसे छुपाने के लिए कुछ रोज़ाना के खर्चों में कटौती करने की कोशिश की जा रही हो या फिर आपके खर्चों का भी ब्योरा लिया जा रहा हो ,या फिर खर्चों का हिसाब किताब स्पष्ट न हो ,तब आप ये अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वित्तीय बेवफाई हो रही है।
ये बात क्लियर कैसे हों :-
अच्छा होगा यदि आप इन संदेहों को अपने साथी के सामने रखने से पहले खुद को परखें ,आपने ही तो कुछ ऐसा ही नहीं किया है कि आपका साथी भी आपके साथ वही कर रहा हो। आप वित्तीय बेवफाई से ही जूझ रहे हैं ,ये राय कायम करने से पहले, अपनी इस राय को क्लियर करने के लिए रसीदों पर नज़र रखें बैंक स्टेटमेंट का ब्योरा लें फिर किसी नतीजे पर पहुँचकर सही सवाल जवाब साथी से करें ।
वित्तीय बेवफाई से निपटने के लिए क्या करें?
वित्तीय बेवफाई का पता लगाना जितना मुश्किल है, उससे निपटना भी उतना ही कठिन है। क्योंकि इस साझेदारी में एक शिकायतकर्ता और दूसरा दोषी होता है और अगर उनमें से कोई एक भी ये रिश्ता बचाना चाहता है तो ही वो अपनी ग़लती मानता है या एक उसे माफ़ कर पाता है तो समझदारी इसी में है की अपने इन रिश्तों को निभाने में इतनी समझदारी बरते कि ऐसी स्थिति ही न आए कि आपको वित्तीय बेवफाई से झूझना पड़े।
दोनों का आपसी सामंजस्य ज़रूरी है :–
बेहतर है साथी अपने खर्चों, बजट और उसमें होने वाले बदलावों पर आपस में गंभीरता से चर्चा करते रहें और अगर साथी से वित्तीय बेवफाई मिल ही जाए तो भी इस पर विचार करें कि ये बेवफाई हुई क्यों फिर सारे तथ्यों पर विचार विमर्श करने के बाद तय करें कि इस साझेदारी को आगे बढ़ाना है या नहीं और अगर साथ आगे बढ़ना है तो पहले से योजना बनाते हुए भविष्य में आगे बढ़ें अगर कई पक्षों की भागीदारी है और नियोजन मुश्किल हो रहा है तो वित्तीय नियोजन सही रखने के लिए उसे हटा दें।
योजनाओं पर पुनर्विचार करें :–
जब भी आप नई योजनाएं बनाएँ तो साथी के साथ उस पर पुनर्विचार ज़रूर करें ताकि आगे कोई परेशानी न हो और यदि आप अपने लिए कुछ हिस्सा अपने निजी उपयोग के लिए रखना चाहते हैं तो उसका भी एक बीच का रास्ता निकालें ताकि आपके सयुक्त लक्ष्य की प्राप्ति में कोई दिक्कत न हो।
निर्धारित योजनाओं का पालन आवश्यक
नियमों का पालन करने में ईमानदारी ज़रूरी है ,समीक्षा भी करते रहें ताकि बनाए नियमों के परिणामों पर भी नज़र रखी जा सके और नई नीति भी आपसी सामंजस्य से बनाई जा सके।
आपातकालीन स्थिति के लिए भी तैयार रहें :-
इस बारे में भी सावधान रहें कि वित्तीय बेवफाई आपके साथ भी हो सकती है इसलिए अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करके पहले से ही नीति निर्धारण के समय ही आपातकालीन योजना बना के रखे जो आपको अलगाव से होने वाले नुकसान से बचा सकें।
वित्तीय बेवफाई एक गंभीर विषय है, क्योंकि वैवाहिक जोड़ों में इससे घर भी टूट जाता है इसलिए लोग जानबूझकर इसपर बात ही नहीं करते हैं लेकिन समाज में बदलाव, वित्तीय संबंधों में पारदर्शिता, संयुक्त लक्ष्य निर्धारण और महिलाओं की भागीदारी ने इस अवधारणा के नकारात्मक पहलुओं पर भी चर्चा करना आवश्यक बना दिया है।

