MP: “एक कॉल पर शराब” वाला बयान, MP के मंत्री ने खोला नया पॉलिटिकल पिटारा

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Minister Dharmendra Lodhi Statement: मध्य प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी के एक बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। फेसबुक लाइव में खुद पर लगे शराब माफिया से साँठगाँठ के आरोपों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा बिहार में शराबबंदी तो हो गई, लेकिन वहाँ माफिया एक कॉल पर घर-घर शराब पहुँचा देते हैं। कानून बना देने से शराबबंदी नहीं होती, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना पड़ता है।

Minister Dharmendra Lodhi Statement: मध्य प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने बिहार को शराब माफिया का गढ़ बता कर सियासी आग भड़का दी है। रविवार को फेसबुक लाइव में उन्होंने दावा किया, “बिहार में शराबबंदी के बावजूद एक फोन कॉल पर शराब घर पहुँच जाती है।” यह जानकारी उन्हें बीजेपी के उन नेताओं ने दी जो बिहार चुनाव प्रचार के लिए गए थे।

कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस ने तुरंत पलटवार किया। प्रदेश प्रवक्ता संगीत शर्मा ने कहा, “मंत्री जी, गुजरात में भी शराबबंदी है, वहाँ भी होम डिलीवरी चलती है। क्या गुजरात में भी माफिया राज है या बीजेपी के लिए नियम राज्य-दर-राज्य बदलते हैं?” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीजेपी पर दोहरा मापदंड का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हम नशा मुक्ति चाहते हैं, लेकिन बीजेपी सरकार 17,000 करोड़ रुपये की शराब बिक्री का टारगेट रख रही है। यह युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की साजिश है।”

यूट्यूबर को जेल, पिटाई का दावा

इसी लाइव सेशन में मंत्री लोधी ने दूसरा बम फोड़ा। उन्होंने चेतावनी दी, “जो मेरी या किसी जन-प्रतिनिधि की छवि खराब करेगा, उसे पुलिस उठाकर पीटेगी। गलत काम करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।” यह बयान यूट्यूबर राघवेंद्र राठौर के खिलाफ आया, जिन्होंने संगरमपुर में प्रदर्शन कर मंत्री लोधी और पशुपालन मंत्री लखन राठौर पर शराब माफिया से साँठ-गाँठ का आरोप लगाया था। मंत्री की शिकायत पर शुक्रवार शाम पुलिस ने राघवेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। हिरासत में पिटाई का आरोप लगा, लेकिन मेडिकल जाँच में कोई चोट नहीं मिली। रविवार को जमानत पर रिहा होने के बाद राघवेंद्र ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आरोप दोहराते हुए कहा, “मंत्री जी पुलिस की ताकत से असहमति दबा रहे हैं।”

तूल पकड़ सकता है यह विवाद

एक बयान ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार और गुजरात की सियासत को जोड़ दिया। शराबबंदी, राजस्व और अभिव्यक्ति की आजादी अब चुनावी मुद्दा बन गई है। आने वाले दिनों में यह विवाद और तूल पकड़ सकता है।

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