जिसकी वायलिन की धुन सुनाई दी थी हमें फिल्म खामोशी: द म्यूजिकल में जतिन-ललित के संगीत निर्देशन में जिसके बड़े सधे हुए सुरों का ताना बाना ख़ामोशी से हमारे दिलों में उतर गया, पर ये कौन था ? जिसने संगीत प्रेमियों के दिल में जगह बना ली ये चर्चा अभी चल ही रही थी कि शोर मचा ,संजय लीला भंसाली की फिल्म ,हम दिल दे चुके सनम में उन्हीं का संगीत निर्देशन है और जब सन 2000 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार इस फिल्म के लिए इस्माइल दरबार को मिला तो उनका नाम सबकी ज़ुबां पर चढ़ गया और वो बड़े संगीतकारों की फ़ेहरिस्त में शामिल हो गए ।
इस्माइल दरबार भारतीय फ़िल्म संगीतकार , वादक , गायक , वायलिन वादक और संगीत निर्देशक हैं ,
1 जून 1964 को पैदा हुए इस्माइल,
सूरत , गुजरात से ताल्लुक़ रखते हैं उन्होंने कड़ी मेहनत की संगीत की बारीकियों को समझने के लिए और बरसों तक महान संगीत निर्देशकों जैसे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल , कल्याणजी आनंदजी , बप्पी लाहिड़ी , राजेश रोशन , आनंद-मिलिंद , नदीम-श्रवण , जतिन-ललित और एआर रहमान के लिए एक वायलिन वादक के रूप में काम किया । आखिरकार उन्हें संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम से ब्रेक मिला । बाद में भंसाली की ही फिल्म देवदास में उनके संगीत को बहोत पसंद किया गया।
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2007 में, दरबार ने अपना पहला निजी संगीत एल्बम, रसिया साजन रिलीज़ किया , जिसका निर्देशन एस रामचंद्रन ने किया था।
वो फिल्म निर्देशन में भी थोड़ी दख़ल रखते हैं उन्होंने अपनी निर्देशित पहली फिल्म, ये कैसा तिगड़म का सह-निर्माण किया था और कई रियलिटी शोज़ में भी हमें नज़र आए हैं ,
1999 में उन्हें आर.डी. बर्मन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया । हमारी दुआ है कि वो आगे भी अपनी दिलकश धुनों से हमें लुत्फ अंदोज़ करते रहें ।